कोविड-19 मे लॉकडाउन लगने की वजह से भारतीय कॉमिक्स का बाजार एक बार फिर बुलंद हो गया था। इस वजह से कई सारे नए पब्लिशर तो मैदान में आए ही थे। कई पुरानी बंद हो चुकी पब्लिकेशंस को भी रिप्रिंट के रूप में पुनर्जीवन मिल गया। नॉस्टैल्जिया की बाढ़ में कई ऐसी कॉमिक्स रिप्रिंट हो गई जो शायद अपने जमाने में भी सफल नहीं हुई थी। ऐसी ही 3 रीप्रिंट कॉमिक्स आज मैं समीक्षा करने जा रहा हूं जो उमाकार्ट पब्लिकेशन के बैनर तले रिप्रिंट हुई है।
Sheri mera naam (Ganga Chitrakatha)
आबिद भाई की इस कहानी को रघुवीर सिंह ने चित्रों मे उतारा है। कहानी शुरू में बहुत ज्यादा कन्फ्यूजिंग लगती है और बहुत सारे प्रसंग समझ के परे प्रतीत होते हैं लेकिन कहानी के मध्यांतर में इन सभी प्रसंगों को बहुत सफाई से जोड़ा गया है। हालांकि कहानी के अंत में एक अच्छी बनी गाथा को ऐसा बना दिया है कि पढ़ने वाला खुद को ठगा सा महसूस करता है। जहां कहानी की शुरुआत में शेरी को बहादुर दिखाया गया है वही कहानी के अंत में वह हवलदार बहादुर सी प्रतीत होती है। कॉमिक्स के चित्र उस समय अवधि को ध्यान में रखते हुए औसत से थोड़े बेहतर लगते हैं। कुल मिलाकर यह कॉमिक्स बहुत खास नहीं है.
Chacha Champak Lal ka Antriksh mein Yuddh (Goyal Comics)
नरेंद्र शर्मा द्वारा लिखी गई इस कहानी में चित्रांकन मनजीत का है। कहानी पूरी तरह बेसिर पैर की है और चित्रांकन भी बेहद साधारण सा है। कहानी का मुख्य किरदार चंपकलाल शुरू में ही किडनैप हो जाता है और आखिरी में जाकर छूटता है। कहानी का हीरो अल्फांसो कभी तो मुख्य विलेन महाकाल की आवाज सुनकर बहादुर बनता है और फिर अगले ही पन्ने में दोबारा उसकी आवाज सुनकर डर जाता है। इस कहानी ने मेरे मन में डायमंड कॉमिक्स की दिवाली देव के लिए सम्मान पैदा कर दिया है।
Chaurangi Lal aur Kukkad Dev (Fort Comics)
फोर्ट कॉमिक्स की जितनी भी कॉमिक्स मैंने पढ़ी है, अधिकतर को मैंने एक बार पढ़ने लायक पाया है। यह कॉमिक्स भी एक बार पढ़ने लायक तो है। लेखक महेश दत्त शर्मा की लिखी इस कहानी में राम वाइरकर का चित्रांकन है जो काफी अनूठा और अच्छा लगता है। एक कॉमेडी कहानी में इस प्रकार का चित्रांकन भाता है। कहानी ज्यादा तामझाम से दूर थोड़ी नटखट और थोड़ी सरल सी है। कुल मिलाकर यह कॉमिक्स इस सेट की एकमात्र ऐसी कॉमिक्स है जिसे पढ़कर थोड़ी सांत्वना मिलती है की इतने पैसे खर्च करके चलो कुछ तो हाथ आया।
Final Verdict
उमाकार्ट ने जिन कॉमिक्स को रीप्रिंट करने का निर्णय लिया है, उनमें उन्हें ध्यान से ऐसी कहानियों का चयन करना चाहिए जो आज के पाठकों को पसंद आए। चंपकलाल जैसी कॉमिक्स को प्रकाशित करके वह ना केवल अपना घाटा कर रहे हैं बल्कि आने वाले अपने सेट की बिक्री पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।