Hello Comic Nerds
हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जहां पर लोगों की भावनाएं छुईमुई पेड़ की पत्तियों की तरह नाजुक हो चुकी है। बस छूने भर की देर है और लोग आहत हो जाते हैं।
इसमें सिर्फ धर्म से संबंधित बातों को दोष नहीं दिया जा सकता है। लोग विराट कोहली और रोहित शर्मा, शाहरुख खान और सलमान खान, नरेंद्र मोदी और अन्य जैसे खेमों में बंटे हुए घूम रहे हैं। जरा जरा सी बात पर भड़क उठते हैं और अपनी गाढ़ी से गाढ़ी दोस्ती में, क्रोध और नफरत का जहर घोल कर उसे पतला कर देते हैं। और यह खेमावाद केवल किसी देश या किसी प्रांत तक सीमित नहीं है। दक्षिण में भी थालापति विजय और थाला अजीत के फैंस ऐसे ही जूतमपैजार पर उतारू रहते हैं।
The Cause of controversy
ऐसे समय में जब भावनाएं आहत होने के लिए ही पैदा हो रही हैं, कोई लेखक और संपादक किस प्रकार विवाद को न्योता देते हैं, यह राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता की नवीनतम पेशकश 13 घंटे में साफ देखने को मिल सकता है।
इस कॉमिक्स में विवाद इस बात को लेकर है की कहानी में हिंदू मंदिरों को स्वार्थी दिखाया गया है। कॉमिक्स में कुछ पैनल्स में कहानी का हीरो गरीब बच्चों के इलाज के लिए आर्थिक सहायता मांगने हेतु शहर के एक नामी गिरामी मंदिर में जाता है। लेकिन वहां के पंडित मंदिर के खजाने में से धनराशि उपलब्ध कराने से मना कर देते हैं।
शुरू में जब यह विवाद उठा तो मैंने भी इस विवाद का मजाक उड़ाया, लेकिन जब मैं इस कॉमिक्स को पढ़ने के लिए बैठा तो मुझे एहसास हुआ कि इस कॉमिक्स में दिखाया गया यह दृश्य बेहद गैर जरूरी है।
Analysis
अब इसके पीछे की क्या वजह थी यह कहना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन जितना मुझे समझ में आ रहा है इसके पीछे निम्न वजह हो सकती हैं।
- यह मामला संपादकीय आलस का है। आमतौर पर इस प्रकार की संवेदनशील चीजें संपादक स्तर पर रोक दी जानी चाहिए उनमें आवश्यक परिवर्तन कर देना चाहिए। लेकिन राज कॉमिक्स के नाम पर बाजार में जिस प्रकार की आपाधापी मची हुई है उस वजह से इस कॉमिक्स में संपादन का कार्य नगण्य है और इसीलिए लेखक द्वारा लिखा गया यह दृश्य जो शायद आज से 20 साल पहले किसी को नागवार ना गुजरता वह विवाद का कारण बन गया है।
- हो सकता है कि कहानी में इस प्रकार का दृश्य जानबूझकर डाला गया हो। एक कहावत है कि विवाद अच्छा बिकता है। शायद लेखक व संपादक ने इसी उम्मीद में कहानी में इस प्रकार के इनपुट को मंजूरी दी, ताकि विवाद हो, और एक ऐसी कॉमिक्स जिसके बिकने की अधिक गुंजाइश नहीं थी, वह विवाद की वजह से बिक जाए।
- तीसरा कारण हिंदू फोबिया हो सकता है। मैंने पूर्व में कॉमिक्स पर हुए एक धार्मिक विवाद का पुरजोर विरोध किया था। बांकेलाल के कलेक्टर एडिशन के कवर पर से शिव जी का चित्र हटाए जाने का मै धुर विरोधी रहा हूं। लेकिन इस कहानी को पढ़कर मैं यह स्पष्ट बोल सकता हूं कि इन चार पैनल्स की इस कहानी में कोई भी जगह नहीं थी। लेखक ने हिंदू धर्म के मंदिरों को गलत छवि में प्रस्तुत किया है, which is rank Hindu phobia.
सभी लोग जानते हैं कि अधिकतर पुरातन मंदिर भारत सरकार को टैक्स देते हैं। इसके अलावा भारत के कई बड़े मंदिर स्कूल, कॉलेज तथा चैरिटेबल अस्पतालों का संचालन भी कर रहे हैं।
अगर इन तथ्यों को दरकिनार कर भी दिया जाए तो भी किसी धर्म विशेष के धार्मिक स्थल को स्वार्थी दिखाना एक बात है, लेकिन भक्तों द्वारा दान की गई धनराशि की तुलना सड़क पर बिछाए गए पत्थरों से करना निंदनीय एवं निम्न कोटि का लेखन है।
A word of Advice
वजह चाहे जो भी हो लेकिन भारतीय कॉमिक्स लेखकों को एवं प्रकाशको को बदलते समय के अनुसार परिपक्व होना पड़ेगा। वह समय जा चुका की किसी भी प्रकार का व्यंग स्वीकार कर लिया जाएगा।
Remember, we live in a world where everyone is waiting to be offended at the drop of a hat. A world where mention of the name of a particular person can send someone in a state of mindless frenzy.
In such a world, it is advisable to practice caution, because fate my friends, is a cruel monster.
It’s good that you mentioned this Hindu-phobia. I challenge them to do the same with other religion. It’s not like I want to do them. But the question is why target only Hinduism? I’ll definitely won’t buy the comics and will persuade others to not buy this comics as well.
Agree with you on this. There could be only two reasons to show this, either they wanted to make a controversy or they simply firmly believe and back this ideology.
I don’t know why publishers can’t avoid adding politics to comics.