एक अच्छी कॉमिक्स कहानी और आर्ट के समागम से बनती है। अगर कहानी अच्छी हो मगर आर्ट खराब तो कहानी का मजा आधा रह जाता है। ठीक उसी तरह अगर आर्ट वर्क बहुत अच्छा हो लेकिन कहानी बेदम हो तो भी पाठक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है। आज एक ऐसी ही कॉमिक्स का dissection आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। यह कॉमिक्स है प्रतिलिपि कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित ताश्री (Tashree)
Credits
- Story – Sumit Menaria
- Comic Script – Saahil Kharwar/Suthra
- Art – Panda Brothers
- Lettering – Harishdas Manikpuri
Story
ताश्री की कहानी non linear narrative के साथ चलती है। कहानी में रहस्य, मर्डर मिस्ट्री, औरतों पर होने वाले अत्याचार, प्रेम, घृणा, लालच इत्यादि बहुत सारे पहलू और भाव कवर किए गए हैं। कहानी के आखरी कुछ एपिसोड तक यह स्पष्ट नहीं हो पाता है की मुख्य विलेन कौन है। इस non linear narrative की वजह से कहानी कई जगह अपनी मुख्यधारा से भटकती हुई प्रतीत होती है। मध्यांतर में कई बार कहानी उबाऊ सी लगने लगती है। मगर अंत की तरफ बढ़ते-बढ़ते अचानक कहानी एक तेजी पकड़ती है जो पाठकों को एक ऐसे सफर पर ले जाती है जहां पर नॉनस्टॉप एक्शन होता है। कहानी का क्लाइमैक्स रहस्य रोमांच तंत्र-मंत्र इत्यादि से भरा हुआ है। अंकिता जब कहानी समाप्त होती है तो पाठक खुद को तृप्त पाता है मगर साथ ही साथ उसके मन में अगले भाग के लिए उत्सुकता भी पैदा हो जाती है।
Art
जितना इस कॉमिक्स की कहानी मनोरंजन करती है उतना ही इस कॉमिक्स का आर्टवर्क कॉमिक्स पढ़ने के एक्सपीरियंस को अझेल बना देता है। पंडा बंधुओं द्वारा इस कॉमिक्स में दबाकर ट्रेस वर्क किया गया है। कॉमिक्स के कई किरदारो को देखकर आप एक क्षण में पहचान जाएंगे कि उनका चित्रण असल जीवन के किस व्यक्तित्व के चित्रों को छाप कर किया गया है। कॉमिक्स का शब्दांकन भी बेहद साधारण है जिस वजह से कॉमिक्स पढ़ते समय कई बार मन भटक जाता है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि इस कॉमिक्स का आर्टवर्क एक अच्छी कहानी को कमजोर करता है जिस वजह से कहानी का आनंद लेना मुश्किल हो जाता है।
Final Verdict
कुल मिलाकर ट्रेस आर्ट वर्क की वजह से यह कॉमिक्स संग्रहणीय नहीं रह जाती है। इस कॉमिक्स में किन-किन असल जीवन के व्यक्तियों का चित्र ट्रेस किया गया है वह आप नीचे दिए गए कॉमिक्स के चित्रों को देखकर अवश्य समझ जाएंगे।