अश्वसम्राट बांकेलाल श्रृंखला का पहला भाग आबुरा का तिलिस्म एक नया तरह का प्रयोग था, जहां गंभीर किरदार गंभीर ही था और हास्य किरदार हास्य ही परोस रहा था। तरु तिलिस्म उसी प्रयोग को आगे ले जाने वाली इस श्रृंखला की दूसरी कड़ी है। आइए इस कॉमिक्स के dissection से जानते हैं कि क्या इस श्रृंखला का यह दूसरा भाग कहानी को और रोचक बना पाया या नहीं।
Credits
- Writer – Sushant Panda/Anurag Kumar Singh
- Art – Sushant Panda
- Coloring – Basant Panda
- Lettering – Harish das Manikpuri
- Editor – Sanjay Gupta
Art
श्रृंखला के पहले भाग की तरह ही इस कॉमिक्स का आर्ट भी काफी अच्छा है। अश्वमाया और अश्वकीर्ति को देखना अपने आप में एक सुखद अहसास दे जाता है। एक बार फिर आर्टवर्क की सबसे अच्छी बात यह है कि जब हम बांकेलाल की दुनिया में जाते हैं तो चित्र थोड़े अलग से लगते हैं, लेकिन जब हम अश्वराज की दुनिया में होते है तो चित्रांकन बिल्कुल ही बदल जाता है। लेकिन इस कॉमिक्स का आर्टवर्क सबसे बेहतरीन तब बनता है जब बांकेलाल और अश्वराज की दुनिया एक ही पैनल में आती है। वहां पर भी चित्रकार ने दोनों के संसारों के चित्रांकन के बीच में अंतर बरकरार रखा है।
Story
तरु तिलिस्म की कहानी बांकेलाल और अश्वराज की दुनिया को मिलाने का काम करती हैं। इस कहानी में हास्य थोड़ा सा कमजोर पड़ता है लेकिन एक्शन पहले के भाती भरपूर है। कहानी में कई रहस्यमई प्रश्न खड़े हो रहे हैं, जिनके जवाब हमें आगामी अंकों में ही मिलेंगे।
वैसे यह कहना गलत नहीं होगा कि यह अंक मुख्यता अश्वराज की कहानी पर ही केंद्रित रहा। बांकेलाल से ज्यादा किरदार तो इसमें उसके बाल स्वरूप का है। लेकिन वह भी कुछ खास प्रभावशाली नहीं बना है। कॉमिक्स का शीर्षक तरु तिलिस्म है मगर वह तिलिस्म केवल 8 पन्नों में शुरू और खत्म हो जाता है।
Final Verdict
Standalone देखें तो तरू तिलिस्म एक औसत कॉमिक्स है, लेकिन एक श्रृंखला के रूप में अगर देखें तो यह कॉमिक्स आने वाले अंकों के लिए मन में सवाल खड़े करने में सफल रहती है। आशा है कि यह श्रृंखला यहां से और गति पकड़ेगी और मनोरंजन का एक ऐसा तड़का लगायेगी, जो इस प्रयोगात्मक श्रृंखला को राज कॉमिक्स की बेहतरीन श्रृंखलाओं में से एक बना देगा।