Hello Comic Nerds
जिंदगी बहुत जालिम है दोस्तों। और दोस्ती पर तो कभी भरोसा करना ही नहीं चाहिए। अब आप सोच रहे होंगे कि मैं यह दार्शनिक वाला ज्ञान क्यों बांट रहा हूं, वह भी dissection zone मे।
तो वह ऐसा है कि स्त्रीभू कॉमिक्स के नॉनस्टॉप एक्शन ने हमारे अंदर जितना जोश भरा था, वह सिंधुनाद पढ़ के जीवन के परम ज्ञान में तब्दील हो गया।
नहीं नहीं, इसका मतलब यह नहीं है कि कॉमिक्स खराब है. यह तो वह चंद किस्से है इस कहानी के जिन्होंने हमारा इस दुनिया से भरोसा ही उठा दिया।
Let’s dissect
स्त्रीभू का dissection हम पहले ही कर चुके है.
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तो आइए बिना कोई समय गवाएं करते हैं शक्तिरूपा यथारूप के दूसरे भाग सिंधुनाद का dissection.
Plot
सिंधुनाद की कहानी शुरू होती है स्त्रीभू की वंडर वूमेन सिंधु के राजनगर आगमन से। राजनगर जहां पर पहले से ही मौजूद है शक्तिरूपा, और जहां शक्तिरूपा मौजूद होगा वहां महिलाओं की शक्ति चरम पर होगी।
और हमारे ध्रुव भैया तो महिलाओं से घिरे हुए हैं।
बस इन सभी महिलाओं के mood swings के बीच में पिसते हुए और पिटते हुए हमारे कप्तान सुपर कमांडो ध्रुव की कहानी है सिंधुनाद (Sindhunaad)।
Story
पहले भाग की ही तरह कहानी एक्शन से भरपूर है। हर फ्रेम में कोई ना कोई मार खा रहा है या मार रहा है। साथ ही साथ शक्तिरूपा का रहस्य और भी गहरा होता जा रहा है। अनुपम सिन्हा जी ने पहले भाग में जो गति कहानी को दी थी उसे इस भाग में भी maintain करके रखा है। कहानी के अंत में एक साथ दो shock element से भरपूर Cliff-hangers देने की कोशिश की गई है, लेकिन अनुपम जी की लेखनी से परिचित हर व्यक्ति अब तक जान चुका है कि जो वह दिखाना चाह रहे हैं, वह तो कतई नहीं होना है।
Art
अगर बात करें आर्ट की तो पहली कॉमिक्स की ही तरह यहां पर भी फ्लैट कलर्स के उपयोग से कॉमिक्स को एक क्लासिक फील मिलती है, और अनुपम जी की चित्रकला हमेशा की तरह कहानी को और मजेदार बनाती है।
Final verdict
हालांकि सिंधुनाद का अंत इतना खास नहीं बन पाया है लेकिन यह कॉमिक्स तीसरे और अंतिम भाग के लिए curiosity कम नहीं होने देती है।
There is an elephant in the room (Spoilers ahead)
हालांकि यह कॉमिक्स काफी अच्छी बनी है लेकिन अनुपम जी के कुछ आदतें तर्क से परे होती जा रही है। जैसे कि इस कहानी में नताशा का एकदम से हंटर्स के नये मुखिया के रूप में सामने आना, और उससे भी ज्यादा चंडिका उर्फ श्वेता की जान लेने की कोशिश करना।
आप सभी को पता है कि नताशा और श्वेता सबसे अच्छे दोस्त हैं, इतने अच्छे कि श्वेता ही चंडिका है यह राज सिर्फ नताशा जानती है। इतने अच्छे कि कई बार नताशा ने कमांड नताशा होते हुए भी चंडिका का राज बचाने की और श्वेता की मदद करने की कोशिश करें। हो भी क्यों ना क्योंकि यह रिश्ता सिर्फ दोस्ती का नहीं है। आखिर नताशा श्वेता की होने वाली भाभी भी तो है।
अब ऐसे समीकरण के बावजूद कहानी में नताशा का चंडिका को मारने के लिए उस पर बम फेंकना और साथ में यह बोलना कि तुम्हारी लाश पर से शक्तिरूपा उतारने में मुझे दुख होगा, यह दोनों ही कृत्य भविष्य में नताशा और ध्रुव के प्रेम विवाह की कोई संभावना नहीं छोड़ते हैं। क्या ध्रुव ऐसी महिला से शादी करेगा जिसने उसकी बहन को मारने की कोशिश करें?
एक तरह से अनुपम जी ने प्रेम ग्रंथ कॉमिक्स को लिखने से पहले ही खत्म कर दिया।
Patience is the key
खैर हम यह भी जानते हैं कि जरूरत पड़ने पर अनुपम जी ध्रुव के इतिहास को ही बदल देते हैं। इसलिए इंतजार कीजिए प्रेमग्रंथ का, और उससे पहले इंतजार कीजिए शक्तिरूपा कॉमिक्स के तीसरे और अंतिम भाग मृत्युरूपा के dissection का।
Exactly…ye Natasha wala point mujhe bhi gale se nahi utra…..ajeeb tarah ki writing hai…upar se Shaktiroopa ka itna hype create kiya but wo Spiderman ke venom Symbiote se zyada kuch hai nahi….jo kisi bhi aurat ki powers ko badha deta hai aur uske dimag me jo emotions hain usko amplify kar deta
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