Hello Comic Nerds
गति। गति जितनी अच्छी है उतनी ही बुरी भी हो सकती है। जब किसी F1 racetrack के संदर्भ में बात की जाए तो गति विजेता का चयन करती है किंतु आम सड़क पर वही गति जानलेवा साबित हो सकती है।
कुछ ऐसा ही सिद्धांत किसी कहानी पर भी लागू होता है। अगर कहानी की गति बहुत धीमी हो तो पाठक बोरियत से मर जाता है, और अगर गति कुछ ज्यादा ही तेज हो तो पाठक की brain waves crash होने की प्रबल संभावना पैदा हो जाती है।
बस इसी गति के फेर में फंसी हुई एक महागाथा के तीसरे भाग सर्पयज्ञ (Sarpyagya) का आज मैं करने जा रहा हूं dissection.
Refresh your memory
सर्प सत्र और सर्प द्वंद में हुए घटनाक्रम को आगे ले जाने वाले अध्याय का नाम है सर्प यज्ञ।
पिछले दोनों अध्याय के dissection आप निम्नलिखित लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं।
Credits
- Story and Art – Anupam Sinha
- Inking – Vinod Kumar, Jagdish Kumar
- Calligraphy – Nitish Sharma
- Coloring – Bhaktranjan
- Cover Page Coloring – Pradeep Sehrawat
- Editor – Meenu Gupta
- Studio Head- Ayush Gupta
Story
सर्प यज्ञ (Sarpyagya) की कहानी अत्यधिक गति से बढ़ती है। पहले पृष्ठ से ही ताबड़तोड़ एक्शन की शुरुआत हो जाती है और आखिरी पन्ने तक आते-आते इतने किरदार फ्रेम में इस तीव्र गति से आते हैं-जाते हैं की पाठक यही नहीं समझ पाता है की कहां क्या हो रहा है और कहां क्या हुआ था।
32 पन्नों के अंदर अनुपम जी ने इतने किरदार इतने sub plot उड़ेल दिए हैं की पहली बार पढ़ने पर तो कॉमिक्स बिल्कुल ही समझ नहीं आती है।
अगर पूरी श्रृंखला को शुरू से अभी तक सही क्रम में पढ़ा जाए तभी भी सर्प यज्ञ (Sarpyagya) की कहानी किसी पहाड़ी सड़क की तरह इतनी घुमावदार है कि पाठक के दिमाग में उल्टियां शुरू हो सकती है।
Crashzone ahead
नागराज कहां है? कौन सा नागराज कहां है? तौसी किधर है? अप्सरा कहां गई? टनी कहां गया? कालचक्र और नाग मणि क्या खिचड़ी पका रहे हैं? मिस किलर और नगीना कौन सी खिचड़ी खा रहे हैं?
बस समझिए ऐसे ही अनगिनत सवालों को 32 पन्नों में समेटने की कोशिश की गई है। इस वजह से पहले दो भाग में जो एक गति बनी थी, उसे कायम ना रखते हुए कहानी एक ऐसी गति से भागती है जिसका अंत मात्र एक trainwreck में ही हो सकता है।
Art too familiar
जहां तक बात करें आर्ट की तो यह चिर परिचित अनुपम जी का आर्ट वर्क है। इसी वजह से आर्ट पर ज्यादा टीका टिप्पणी करना संभव नहीं रह जाता है। हां यह जरूर कहा जा सकता है की कॉमिक्स में विसर्पी, तौसी, और अन्य किरदारों के चेहरे इत्यादि का चित्रण अपेक्षा से कम हुआ है।
Final Verdict
कुल मिलाकर सर्प यज्ञ एक ऐसी कॉमिक्स है जो की एक श्रृंखला का भाग होने के चलते खरीदनी तो पड़ेगी ही। लेकिन खरीद कर पढ़ने के लिए मैं यही सलाह दूंगा कि सर्पयुग का इंतजार कर लीजिए।