कॉमिक्स मूलत: दो प्रकार की होती है। एक वह जो समय के साथ नीरस होती जाती है और दूसरी वह जो किसी भी कालखंड में पढ़ी जाए तो मनोरंजन से भरपूर लगती है। ऐसी ही कुछ कॉमिक्स की समीक्षा करने के लिए इस नई सीरीज का शुभारंभ कर रहा हूं। Revisiting classics is a series that dissects with respect, the best stories of bygone era. और इसके पहले संस्करण के लिए आइए बात करते हैं राधा कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित शक्तिपुत्र के विशेषांक शक्तिपुत्र और अदृश्य मानव की।
Credits
- Writer – Vatsala Kaushik
- Art – Drona features
- Editor – Manish Jain
Art/Story
शक्तिपुत्र और अदृश्य मानव शक्तिपुत्र श्रृंखला का पहला विशेषांक था। इस कहानी ने शक्तिपुत्र की उत्पत्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण arc को close करने का काम किया था।
शक्तिपुत्र की कॉमिक्स का आर्टवर्क उस जमाने में एक अलग ही तरह का आर्टवर्क होता था लेकिन इस आर्टवर्क की खूबी यही है कि आज की तारीख में भी यह कहीं से भी बासी नहीं लगता है।
जहां तक की कहानी की बात की जाए तो यह कहानी इतनी खूबसूरती से सांचे में ढाली गई थी कि आज भी जब कोई इसे पढ़ने बैठता है तो यह कहीं से भी beyond expiry date की feel नहीं देती है। कहानी की शुरुआत मुख्य विलेन की एंट्री से ही होती है और पहले act से ही कथानक रीडर को अपने जाल में खींच लेता है।
कहानी के मध्यांतर तक लेखक द्वारा जिस तरह से सस्पेंस बांधा गया है, वह आजकल की भी कहानियों में कम ही देखने को मिलता है। बीच में कहानी थोड़ी हल्की पड़ने लगती है लेकिन क्लाइमेक्स में कहानी पाठकों को एक ऐसा closure देती है, जिसे समझने के लिए आपको शक्तिपुत्र की उत्पत्ति को दोबारा पढ़ना पड़ेगा। मगर जिन्हें शक्तिपुत्र की कहानी याद है उन्हें इस कहानी का अंत अवश्य आराम पहुंचाएगा।
शक्तिपुत्र काफी हद तक रोबोकॉप से प्रेरित किरदार है मगर इस कहानी में शक्तिपुत्र का किरदार सुपर हीरो कम और जासूस ज्यादा लगता है। और यही जासूसी टच तथा शक्तिपुत्र और विलेन के बीच में चलने वाला चूहा बिल्ली का खेल, इस कहानी को यादगार बनाता है।
Final Verdict
आज जब कॉमिक्स इंडिया राधा कॉमिक्स के रिप्रिंट छाप रही है तो उन्होंने अब तक शक्तिपुत्र और अदृश्य मानव को रिप्रिंट क्यों नहीं किया यह समझ से परे है। लेकिन यह तय है कि यह कॉमिक्स अगर आज की तारीख में भी रिलीज की जाती है तो नए कॉमिक्स पाठकों द्वारा भी बहुत पसंद की जाती।