मुझे राम रहीम की कॉमिक्स कुछ खास पसंद नहीं है। उसके पीछे मात्र एक कारण है और वह यह की राम रहीम की कहानियों में जासूसी नाम मात्र की होती थी और अतिशयोक्ति अथाह। इसलिए जब bullseye press ने नॉस्टैल्जिया की दुनिया में डुबकी लगाते हुए राज रहमान की घोषणा करी तो मैं कोई खास उत्साहित नहीं हुआ। अब यह कॉमिक्स राज रहमान और घरशनपुर का प्रेत कैसी बनी है और क्या मेरा उत्साहित ना होना जायज था? इसके जवाब के लिए आपको पढ़ना पड़ेगा यह dissection.
Credits
- Writer – Ashwin Kalmane
- Art – Deepjoy Subba
- Coloring – Harendra Singh Saini
- Lettering/Editing – Raviraj Ahuja
Plot
एक भूतिया मिल, 5 मालिक, एक की मौत। 25 साल बाद, बचे हुए मालिकों पर कोई प्रेत हमला कर रहा है और उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहा है। लेकिन कोई भी आत्महत्या में सफल नहीं होता है। आखिर इस सबके पीछे राज क्या है? क्या वाकई घरशनपुर में कोई प्रेत है? इसी गुत्थी को सुलझाती हुई कहानी है राज रहमान और घरशनपुर का प्रेत
Art
दीपजॉय सुब्बा ने इस कॉमिक्स में काफी रेट्रो आर्ट वर्क किया है। Each page is a geometric delight. हर पन्ना बराबर एक आकार के panels में बटा हुआ है। जो बिल्कुल पुराने जमाने की कॉमिक्स की याद देता है। कलर्स काफी dull है जिसकी वजह से कॉमिक्स पढ़ने में एक अलग ही फीलिंग आती है। एक सस्पेंस से भरे हुए भूतिया माहौल को इस प्रकार का आर्ट वर्क और निखार कर लाता है।
दीपजॉय भाई ने जिस प्रकार किरदारों के चेहरों पर भाव प्रकट किए हैं वह काबिले तारीफ है। पेज संख्या 10 पर जिस प्रकार रहमान के गुस्सा होने से उसके शांत होने तक का सीक्वेंस चित्रित किया गया है वह इस मुख्य किरदार के चरित्र को बहुत खूबसूरती से पाठक के सामने प्रस्तुत करता है। यह आर्टवर्क यकीनन कुछ लोगों को पसंद नहीं आएगा जोकि एक प्रकार के आर्टवर्क के ही मुरीद बनकर बैठे हुए हैं, लेकिन जिन्हें आर्ट की थोड़ी भी समझ होगी, वह इस कॉमिक्स की सराहना करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।
Story
जितना लाजवाब इस कॉमिक्स का आर्ट वर्क है उतनी ही खूबसूरती से इसकी कहानी लिखी गई है। अगर आपको इस कहानी को समझना है तो आपको एक एक पैनल को ध्यान से देखना होगा क्योंकि घरशनपुर के प्रेत का राज ऐसे ही कुछ पैनल्स में छुपा हुआ है। यह लेखक और चित्रकार की बेहतरीन जुगलबंदी का उदाहरण है।
राज और रहमान के किरदारों को लेखक ने बहुत अच्छे से पाठकों के सामने रखा है लेकिन उम्मीद है कि आने वाले अंको में हमें इनकी bonding को और बेहतर समझने का मौका मिलेगा। रहमान द्वारा fourth wall break करना भारतीय कॉमिक्स में शायद पहली बार हुआ होगा।
कहानी की गति एक सस्पेंस स्टोरी को मद्देनजर रखते हुए, बहुत सधी हुई है हालांकि the big reveal थोड़ा सा disappointing है। किसी भी whodunit की सबसे खास बात यह होती है कि वह आपको आखिरी पन्ने तक यह सही guess नहीं करने दे कि आखिर कातिल या साजिशकर्ता है कौन। उस स्थान पर यह कहानी थोड़ी कमजोर लगती है।
Final Verdict
राज रहमान के रूप में रवि राज भाई ने एक जुआ खेला था। लेकिन किस्मत से उनके पास अश्विन कलमाने और दीपजॉय सुब्बा जैसे दो तुरुप के पत्ते आ गए और यह बाजी उनके नाम रही। लेकिन इसके बाद उनका चैलेंज और बढ़ जाता है क्योंकि जो काम राम रहीम, सागर सलीम जैसी जोड़ियां नहीं कर पाई वह राज रहमान को करने का मौका मिला है, और वह है भारतीय कॉमिक्स में एक अच्छी जासूसी कहानियों की श्रृंखला की रचना करना। आशा है आने वाले अंक और भी मनोरंजक होंगे।