जी हां। आज मैं जिस कॉमिक्स का dissection करने जा रहा हूं वह एक कॉमिक्स नहीं बल्कि चार कॉमिक्स का संलग्न स्वरूप है। राज कॉमिक्स बाय मनीष गुप्ता जी द्वारा इसको नाम दिया गया है राज कथाएं। और आज मैं कर रहा हूं राज कथाएं संख्या 7 की विस्तृत समीक्षा।
क्योंकि इस एक डाइजेस्ट में चार कॉमिक संलग्न है इसलिए dissection के स्वरूप में थोड़ा बदलाव कर रहा हूं। आर्ट और स्टोरी को एक साथ लेकर प्रत्येक कॉमिक्स की समीक्षा और स्टार रेटिंग दी जा रही है। आशा है यह नया प्रारूप आपको पसंद आएगा। इस नए प्रारूप का एक मुख्य कारण यह भी है की मेरे पास ऑडियो प्लेटफॉर्म पर लिखने के बहुत सारे कार्य आ गए हैं और इसलिए एक डाइजेस्ट की बहुत विस्तृत समीक्षा करना समय की कमी के चलते संभव नहीं है। तो चलिए करते हैं dissection.
1. दौलत बुरी बला
तरुण कुमार वाही जी की लिखी इस कहानी को चित्रों से सजाया है भालचंद्र मांडके जी ने। कहानी की शुरुआत में ही बता दिया जाता है कि यह कहानी तीन ऐसे दोस्तों की है जिनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती है, किंतु पहले पन्ने के समाप्त होते होते ही लेखक दिखा देता है कि इनकी दोस्ती बहुत सतही है। उसके बाद अचानक एक सेठ आकर उन तीनों को एक खजाने के बारे में बताता है और तीनों दोस्त उस खजाने को ढूंढने निकल पड़ते हैं। कहानी में वही घिसा पिटा लालच का तड़का लगाया गया है और कहानी के अंत में अच्छा और बुराई का ज्ञान भी दिया गया है। लेकिन सच में कहानी बहुत नीरस है और शुरू कर कुछ पन्ने पढ़ते ही यह ज्ञान हो जाता है कि तीनों दोस्तों में से कौन खजाने को प्राप्त करेगा। एक बात जो समझ के परे है वह यह कि अगर उस सेट को अपने खजाने के लिए एक इमानदार वारिस चाहिए था, तो उन पहरेदारो ने क्या बिगाड़ा था जो खजाने की रक्षा कर रहे थे। उस खजाने को देखकर उनका भी तो ईमान नहीं डोला?
2. खूनी खिलौना
तरुण कुमार वाही जी के द्वारा लिखी गई इस कहानी चित्रांकन विनोद और हनीफ की जोड़ी ने किया है। चित्रांकन काफी अच्छा है लेकिन कहानी ना जाने क्या सोचकर लिखी गई है। कहानी में एक कर्नल का मर्डर हो जाता है और उस मर्डर की खबर जासूस मिथुन अगले दिन अखबार में पड़ता है। लेकिन जब वह कर्नल के बंगले पर पहुंचता है तो कर्नल की लाश अभी भी वही की वही पड़ी है। मतलब पिछले 10 12 घंटों से लाश वैसे के वैसे पड़ी है और उसे हटाने का कोई इंतजाम भी नहीं किया गया है। मानो पुलिस वाले मिथुन के आने का ही इंतजार कर रहे थे। उसके बाद कहानी में जो भी होता है उससे यह बात साफ हो जाती है कि जासूस मिथुन को जासूसी के अलावा सब कुछ आता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जासूस मिथुन पर एक कहावत बिल्कुल बखूबी फिट बैठती है। “किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान”.
3. रुद्राक्ष की माला
त्रिशूल कॉमिको आर्ट द्वारा सुंदर चित्रों से सजाई गई इस कहानी को लिखा है राजा ने। इस कहानी में कई सारे छोटे छोटे किस्से हैं जिनमें से कुछ पुरानी प्राचीन कहानियों से सीधे-सीधे उठाए गए हैं। पड़ोसी राजा के दूत वाला एक प्रसंग राजा कृष्णदेव राय एवं तेनालीराम की एक कहानी से सीधा सीधा उतार लिया गया है। एक गरीब लकड़हारे के राजा बनने की यह कहानी, बेहद सीधी एवं सरल है मगर मौलिकता की कमी से मात खाती है।
4. जालिम शहजादी
इस कहानी को पढ़कर एक बात तो स्पष्ट है की लेखिका सरिता भारती द्वारा लिखी गई यह कहानी मौलिक नहीं है। यह कहानी शत-प्रतिशत अरब देश की किसी लोक कथा का हिंदी रूपांतरण है। इस कहानी में चित्रांकन किया है अनिल प्रकाश जी ने जो कि औसत है। कहानी में प्रयोग किए गए फारसी के शब्दों से इस तथ्य को और बल मिलता है की यह कहानी महज एक adaptation है। कहानी में पुरुष प्रधान संस्कृति की छाप बहुत स्पष्ट दिखाई देती है। राजा महाराजा, जादू टोना इत्यादि से लबरेज यह कहानी इस डाइजेस्ट की सबसे अच्छी कहानी है क्योंकि यह कथा शुरू से अंत तक एक रहस्य को बांधकर चलती है। यह अलग बात है कि उस रहस्य के खुलने के बाद, कहानी बिल्कुल ही ढीली पड़ जाती है।
Final Verdict
राज कथाएं संख्या 7 चार औसत कहानियों का एक संग्रह है। यह कहानियां शायद उस जमाने में अच्छी लगती रही हो मगर आज पढ़ने पर मनोरंजक नही लगती है। कुल मिला कर यह संग्रह एक below average to average संग्रह है।