कुछ एक आध महीने पहले की ही बात है जब मैंने कथामर्था प्रकाशन की बेहतरीन पेशकश भगवान परशुराम में इस चिरंजीवी अवतार के दर्शन किए थे। उस कॉमिक्स ने मेरे मन को इतना मोह लिया था की चीज बर्गर कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित प्रोफेसर अश्वत्थामा भाग 2 में भगवान परशुराम जी के आगमन को लेकर मेरे मन में संशय था कि क्या यह कॉमिक्स उनके व्यक्तित्व के साथ इंसाफ कर पाएगी या नहीं। तो चलिए पता लगाते हैं।
Credits
- Writer – Saahil Sharma
- Art and Coloring – Sambhav Sankhla, Apl Zom, Ujjwal Bhargav
- Editor and Hindi translation – Bhanu “Sab Kuch” Singh
- Lettering – Raviraj “Bullseye” Ahuja
Art
इस कॉमिक्स के आर्ट वर्क को लेकर मैं खासा कंफ्यूज हूं। साहिल शर्मा के अनुसार इस कॉमिक्स का आर्टवर्क सांभव सांखला ने किया है लेकिन मुझे इस भाग के आर्टवर्क और प्रोफेसर अश्वत्थामा के पहले अंक के आर्टवर्क में कोई विशेष अंतर नहीं दिखाई दिया। कॉमिक्स पढ़ते समय तो मुझे यही लगा की पहले भाग की तरह ही मार्को मिखेल ने हीं इस कॉमिक्स में भी चित्रांकन किया है। लेकिन सच जानने के बाद मैं यही कहूंगा कि दोनों चित्रकारों का काम एक ही स्तर का है। हालांकि मुझे इस कॉमिक्स का आर्टवर्क और भी ज्यादा अच्छा लगा क्योंकि इसमें पहली कॉमिक्स की तरह सिंगल कलर बैकग्राउंड वाले पृष्ठ नहीं डाले गए जो शायद कुछ लोगों को ही पसंद आए थे, लेकिन मुझे वह एक्सपेरिमेंट खास अच्छा नहीं लगा था। इस कॉमिक्स की कलरिंग पहले भाग के मुकाबले कई गुना बेहतर है जिसकी वजह से कॉमिक्स पढ़ने मे और भी आनंद आया।
Story
वाकई में साहिल शर्मा की जितनी तारीफ की जाए कम होगी। भगवान परशुराम के एक काल्पनिक चित्रण को करते हुए भी उन्होंने उनकी मूल आत्मा को सुरक्षित रखा है। जिस क्रोध और रोष के लिए वह जाने जाते हैं उसे इस कॉमिक्स में भी बखूबी दिखाया गया है। लेकिन भगवान परशुराम जी के आगमन से कहानी के मुख्य किरदार प्रोफेसर अश्वत्थामा की कहानी कहीं से भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती नहीं दिखाई देती है। कहानी की गति भी कहीं पर रफ्तार नहीं छोड़ती है और अंत का एक्शन भी खासा मनोरंजक बना है।
कहानी में कई सारे सब प्लॉट चलते रहते हैं मगर उन सब को एक सूत्र में बांधकर क्लाइमेक्स तक लाने के लिए साहिल शर्मा और हिंदी अंक के एडिटर भानु प्रताप सिंह वाकई तारीफ के हकदार है। किंतु इस कहानी के एक पहलू से मुझे थोड़ी सी आपत्ति जरूर है। भगवान परशुराम के वाहन का नाम अटपटा सा लगता है। मेरे विचार से वह नाम किसी और किरदार के साथ जोड़ा जा सकता था लेकिन भगवान परशुराम के नाम के साथ उस शब्द को जोड़ना विवाद को जन्म देने की क्षमता रखता है।
Final Verdict
भारत के प्राचीन इतिहास, दंत कथाओं और आधुनिक विज्ञान को लेकर चीजबर्गर कॉमिक्स की टीम द्वारा जो ताना-बाना बुना गया है उसमें अंक दर अंक सुधार हुआ है। इस वजह से कहानी के अगले भाग को लेकर उत्सुकता काफी बढ़ चुकी है। उम्मीद है कि यह श्रृंखला हर अंक के साथ और बेहतर होती जाएगी।