भारतीय कॉमिक्स जगत के नवजात शिशुओं को चलने के लिए प्रोत्साहित करने और अच्छी कहानियों का लुत्फ उठाने की मुहिम मुझे एक बार फिर ले गयी फेनिल कॉमिक्स की website पर। यहां मेरी नज़र पड़ी प्रिंस कॉमिक्स नामक पब्लिकेशन पर और बस आर्डर कर दिया गया। किसी भी नई कॉमिक्स कंपनी का product order करते time एक भय रहता है कि कही पैसे न डूब जाए। वैष्णवी चित्रकथा के case में अपनी जेब और अपना दिमाग भुनवाने के बाद बहुत हिम्मत करके ये आर्डर किये थे। इनके इंतेज़ार में मन थोड़ा आशंकित तो था और यह भय तब और बढ़ गया जब पहले सेट की दो बेहद पतली कॉमिक्स parcel से निकल कर बाहर आई।
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Prince Comics… भूत प्रेत कथाओं का नया युवराज
90 रुपये में मात्र 14-16 पन्ने की कॉमिक्स देख कर लगा कि गुरु फिर ठगे गए। खैर अब जो हुआ सो हुआ कि philosophy को अपनाते हुए रात को कॉमिक्स लेकर बैठा गया और पढ़ने के बाद आपसे अपनी समीक्षा एक एक कर के साझा कर रहा हूँ।
1. जिन्न
वरिष्ठ लेखक अंसार अख्तर की कलम से निकली यह horror science fiction genre की कॉमिक्स है। कहानी बेहद तेज़ चलती हैं और खत्म भी हो जाती हैं। कहानी का premise अच्छा है लेकिन कहानी में character development सही से नही हुआ है। इसकी वजह से पाठक पूरी तरह अपने को इस story में immersed नही पाता है। As a one shot कहानी अच्छी है लेकिन भारतीय कॉमिक्स अब नए दौर में आ चुकी है जहां MCU और DCEU की तर्ज़ पर universe की demand है। जिन्न की origin जानने की उत्सुकता होना natural है इसलिए यह कॉमिक्स अच्छी होते हुए भी पूरी तरह पाठक को संतुष्ट नही कर पाती है।
कहानी में चित्रांकन हुसैन ज़ामिन जी का है जो बेहद सरल हैं। 90s के दशक में यह अच्छा लगता था किन्तु with time यह outdated लगता है।
कुल मिला के यह कॉमिक्स अपने price को justify नही करती है।
नोट – कॉमिक्स के आखिरी में 4 पेज का बोनस कंटेंट है जो कि interest generate करता है।
My Verdict – 5/10
2. हॉरर संगीत
टीकाराम सिप्पी जी की कलम से निकली यह हॉरर स्टोरी बेहद अच्छी है। कहानी में कम पेनल्स में ही मुख्य किरदार का character development बहुत आराम से किया गया है। कहानी एक ऐसे मोड़ पर खत्म होती है जो इस कॉमिक्स को worth it बनाता है। अगर बात करे आर्ट की तो जय खोहवाल का आर्ट और मोइन खान के इफेक्ट्स इस कॉमिक्स को और विशेषकर कब्रिस्तान वाले panels को एक eerie look देते है। price point के हिसाब से कॉमिक्स महँगी है लेकिन story point से यह दाम खलता नही है।
My Verdict – 7/10
Prince comics शायद खुद को horror comics genre में establish करना चाहती है क्योंकि पहले की 4 कॉमिक्स सब उसी genre की है। Even उनकी आने वाली superhero कॉमिक्स जरीनो भी paranormal theme पर बनी है। कुल मिला के अगर prince comics थोड़ा price पर reconsider करे तो यह अपना पांव जमाने मे सफल हो सकती है। बाकी 2 कॉमिक्स का review फिर कभी। तब तक comics पढ़िए, खुश रहिये। Keep junoon alive.
Archit Srivastava
Dr Archit Srivastava aka Archwordsmith is a practicing doctor, writer and poet. He has penned over 300+ poems and stories over 26 years from a tender age of 10 years.
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