Hello Comic nerds
सुना है प्रेत अंकल का कलेक्टर एडिशन मार्केट में आ गया है और काफी सारे लोग इसे लेने के लिए भी इच्छुक है। शायद यह वह लोग हैं जो सिर्फ कलेक्टर एडिशन का नाम सुनकर कोई भी कॉमिक्स खरीदने को आतुर रहते हैं क्योंकि प्रेत अंकल जैसे सुपर फ्लॉप किरदार के कॉमिक्स के रिप्रिंट लेना ही मुझे काफी महंगा लगा। ऐसे में कलेक्टर एडिशन लेने का मुझे तो कोई औचित्य नजर नहीं आता है। खैर सबकी अपनी-अपनी इच्छा।
Let’s Dissect
तो लोगों को कॉमिक्स खरीदने देते हैं और हम बात करते हैं कि आखिर क्यों फ्लॉप हुआ प्रेत अंकल। प्रेत अंकल राज कॉमिक्स के एक बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था। जहां तक मुझे याद है फाइटर टोड्स और प्रेत अंकल एक साथ ही मार्केट में उतारे गए। लेकिन ऐसा क्या हुआ की फाइटर टोड्स सफलता की सीढ़ियां फुदकते चले गए और प्रेत अंकल मोक्ष को प्राप्त हो गए ? तो चलिए करते हैं प्रेत अंकल के चारों अंक का एक साथ dissection.
Pret Uncle
सर्वप्रथम प्रेत अंकल के पहले अंक की अगर बात करें तो कॉमिक्स के पहले स्प्लैश पेज से काफी ज्यादा उम्मीद जग गई थी। किंतु उसके आगे जैसे जैसे पन्ने पलटते गए वैसे वैसे ही कहानी कमजोर और हास्यास्पद बनती चली गई। असल में प्रेत अंकल की कोई भी कॉमिक्स पढ़ने के बाद पाठक को यह महसूस नहीं होता था कि उसने कोई अद्भुत कहानी पढ़ी हो। ऊपर से लेखक ने प्रेतों के एक नए संसार को पेश किया जो पाठकों के मन में पहले से स्थापित प्रेत की छवि पर खरा नहीं उतरा।
आम जनमानस के मन में प्रेत की जो एक छवि बनी हुई है उसके अनुसार प्रेत एक प्रकार की आत्मा होती है। लेकिन प्रेत अंकल के संसार के प्रेत तो लगभग मानव जैसा व्यवहार ही कर रहे थे। टकला और गंजू नामक दो प्रेत तो लगभग हर कॉमिक्स में चिलम फूंकते नजर आते थे। प्रेत अंकल तो मनचाहा रूप धारण कर लेते थे। कहीं ना कहीं प्रेतों का यह स्वरूप पाठकों के गले के नीचे नहीं उतरा।
Hauaa
रही सही कसर प्रथम अंक के बाद आने वाले अंकों ने कर दी। हऊआ कॉमिक्स में राज कॉमिक्स की थ्रिल हॉरर सीरीज के सबसे कमजोर विशेषांक तहलका की कहानी को आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया गया। यह ठीक वैसे ही था जैसा किसी जर्जर इमारत के ऊपर कई मंजिल की बिल्डिंग बनाने का प्रयत्न करना।
BhootRaja
इसके बाद आई भूतराजा। इस कहानी में तो लेखक ने कुछ ऐसे प्रयोग किए जो इस किरदार को और विफल बना गए। भूत कमांडो के नाम पर मिस्टर पोटैटो जैसे दिखने वाले हास्यास्पद किरदार, मंकी पांडे जैसे नाम वाले बेहूदा विलन और प्रेतों को लकवा मार जाने जैसे sequences, इस कहानी को किसी भी समझदार कॉमिक्स प्रेमी के लिए indigestible बना गए।
Thodanga ka Pret
प्रेत अंकल की असफलता के कारण ही शायद राज कॉमिक्स ने एक आखरी प्रयत्न किया जिसमें उन्होंने नागराज के एक मशहूर सुपर विलन श्री थोडांगा जी के प्रेत का सामना प्रेत अंकल से करवा दिया। इस कॉमिक्स में थोडांगा के प्रेत को इतना अधिक शक्तिशाली दिखाया गया है जितना कि जीवित थोडांगा स्वयं नहीं था। कुछ दृश्यों में तो ऐसा प्रतीत हुआ की अगर थोडांगा का प्रेत चाहता तो मात्र 2 पन्नों के अंदर नागराज से अपना बदला ले सकता था।
Art and pricing
इस कॉमिक्स के साथ ही प्रेत अंकल का प्रयोग समाप्त करना पड़ा। कॉमिक्स का चित्रांकन अपने समय के हिसाब से ठीक-ठाक ही था हालांकि बड़े पन्नों में यह कॉमिक्स काफी लुभावनी लगती थी। लेकिन लचर कहानियों और बड़े आकार की वजह से उस समय अधिक मूल्य होने के चलते यह कॉमिक्स लोकप्रिय नहीं हो पाई।
That irritating baby
एक और कारण जो मैं इस कॉमिक्स की विफलता का देखता हूं वह था बेबी का किरदार। इस छोटी बच्ची को देख कर ऐसा लगता था कि मानो इसे कॉमिक्स में जबरदस्ती ठूंस दिया गया हो। तकरीबन हर कॉमिक्स में बेबी या तो विलेन के चक्रव्यूह में फंस जाती थी या फिर अंत में कोई अत्यधिक साहसिक कार्य कर जाती थी। कहीं ना कहीं इस किरदार से पाठकों का भावनात्मक जुड़ाव नहीं हो पाया।
Final word
कुल मिलाकर प्रेत अंकल का संग्राहक संस्करण हो या individual editions हो, यह कॉमिक्स अगर ना भी खरीदें तो आप कुछ खास मिस नहीं करेंगे।
बाकी जैसी आपकी श्रद्धा और जैसा आपका बजट।
Jai pret baba