Hello Comic Nerds
राज कॉमिक्स के तीन भाग होने के बाद भोकाल की यह पहली कॉमिक्स है। इस कॉमिक्स की कहानी सर्व नायक प्रतियोगिता के समापन से शुरू होती है। इस प्रतियोगिता में भूतकाल के सुपर हीरो पराजित हुए थे ऐसा हमें पुनरुत्थान में जताया गया है।
Credits
- Art – Lalit Singh
- Story – Nitin Mishra
- Coloring – Bhakt Ranjan
- Calligraphy – Gaurav Gangele/Mandar Gangele
- Editor – Sanjay Gupta
Story
यह कहानी उसी के बाद की गाथा है जब भोकाल स्वयं को वापस अपने काल समय में पाता है। लेकिन जिस समय धारा से भोकाल को युगम ने अगवा किया था, इस कहानी की समय धारा उससे बिल्कुल अलग है। कहानी की शुरुआत में यह स्थापित कर दिया जाता है कि फूचांग विकास नगर का राजा बन चुका है और उसने भोकाल का वध कर दिया है। ऐसे में हमारा परिचित भोकाल अपने आप को एक ऐसे विकास नगर में पा कर चौक जाता है, जहां उसे कोई जानता ही नहीं है। परास्त, हताश और अंधकार में विलुप्त हो चुके एक सुपर हीरो की गाथा है मृत्युरथी।
कहानी शुरू से अंत तक पाठक को बांधने में सफल रहती है। इस कहानी में हर पन्ने पर एक नए रहस्य की परत जुड़ती जाती है। कहानी के अंत तक इतने प्रश्न पाठक के मन में खड़े हो जाते हैं कि वह उनके जवाब पाने के लिए उतावला हो जाता है। इस कॉमिक्स के अगले भाग का इंतजार करना वाकई में बहुत मुश्किल होने वाला है।
Art
इस कॉमिक्स के आर्ट को लेकर कल काफी बहस हुई। बहुत से लोग तर्क और कुतर्क के माध्यम से इस कहानी के आर्ट वर्क को मापने का प्रयास कर रहे थे। कुतर्क वालों को तो जवाब कल की पोस्ट में दिया जाएगा लेकिन तर्क वालों को इसी पोस्ट के माध्यम से जवाब देना जरूरी है।
This book is a tale of two heroes
जब आप इस कॉमिक्स को पढ़ेंगे तो भोकाल की कहानी में इस कॉमिक्स के चित्रकार ललित सिंह जी की कहानी को ढूंढने का प्रयत्न कीजिएगा। जिस प्रकार भोकाल खुद को एक विचित्र समय में, एक बदले परिवेश में अकेला, हताश और पराजित पाता है, ऐसा ही कुछ इस कॉमिक्स के चित्रकार ललित जी के साथ भी हुआ। जिस प्रकार इस कहानी में भोकाल अपने अंतर्मन में चल रहे उथल-पुथल से लड़ते हुए अपनी राह खोजता है, उसी प्रकार ललित जी ने भी एक भयावह हादसे के बाद स्वयं को दोबारा खोजने के पथ पर चलना शुरू किया है। जिसे आप खराब आर्टवर्क बोल रहे हैं मैं उसे एक वीर योद्धा द्वारा अपनी शिकस्त को विजय में बदलने की प्रयास के तरफ पहले कदम के रूप में देखता हूं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी यह कहानी जितना ही ज्यादा भोकाल के पुनरुत्थान की है उससे भी ज्यादा ललित जी के पुनर्जन्म की है।
Emotions are what defines us
तर्क वितर्क और कुतर्क से परे होती है भावनाएं। हम कॉमिक्स का आनंद इसलिए ले पाते हैं क्योंकि इनसे हमारी भावनाएं जुड़ी हैं। भाव शून्य होकर किसी भी ऐसी वस्तु की समीक्षा करना संभव नहीं होता है।
रही बात इस कॉमिक के आर्ट वर्क की समीक्षा करने की, तो निश्चित रूप से आर्टवर्क में सुधार होना चाहिए। किंतु ललित जी के व्यक्तिगत संघर्ष का सम्मान करते हुए मैं इस महा योद्धा के कार्य की रेटिंग करने में मैं खुद को अक्षम पाता हूं।
मृत्युरथी भोकाल की गाथा मे एक बेहद अहम पड़ाव है और यह कॉमिक्स निसंदेह सबको खरीदनी चाहिए।