Hello Comic Nerds
जब सन 2021 में राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता ने डोगा की रक्त कथा सीरीज की घोषणा करी थी तो काफी लोग यह जानने को उत्सुक थे कि आखिर इस सीरीज में डोगा के बचपन की कौन सी कहानी होगी।
फिर संजय गुप्ता जी ने इस श्रृंखला की पहली कॉमिक्स कचरा पेटी को रिलीज किया जिसे लेकर राज कॉमिक्स के पाठक दो खेमों में बटे नजर आए।
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अधिकतर लोगों को इस कॉमिक्स का आर्ट बहुत पसंद आया लेकिन कहानी से उन्हें शिकायत थी। उन्हें जो सबसे बड़ी शिकायत थी वह यह थी कि कचरा पेटी में सूरज को सूरज नाम ठाकुर बाबा ने दिया है ऐसा दिखाया गया था, जबकि डोगा की शुरुआत की कॉमिक्स में ही यह बात स्थापित की गई थी कि उसे यह नाम सोनू ने दिया था।
Let’s Dissect
इस सवाल का जवाब संजय गुप्ता जी ने रक्त कथा के दूसरे भाग मेरी सोनू में देने की बात कही थी तो आइए इस सवाल का जवाब ढूंढते हुए करते हैं मेरी सोनू का dissection.
Credits
Story – Sanjay Gupta, Vivek Mohan
Art – Dildeep Singh
Inking and Coloring – Jagdish Kumar
Story
मेरी सोनू की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पर कचरा पेटी की कहानी खत्म हुई थी। कहानी पिछले भाग के मुकाबले थोड़ी धीमी है और कहानी में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है। सोनू और सूरज की नोकझोंक वाला ट्रैक अच्छा बना है। पिछले भाग की ही तरह सूरज और कुत्तों के बीच के भावनात्मक जुड़ाव को बखूबी से दिखाया गया है।
कुल मिलाकर कहानी में melodrama की कोई कमी नहीं है लेकिन कहानी की धीमी गति इस कॉमिक्स की कमजोरी कही जा सकती है।
Art
अगर बात करें चित्रांकन की तो कचरा पेटी की ही तरह दिलदीप सिंह और जगदीश कुमार जी ने इस कॉमिक्स में जान फूंक दी है। हर एक पन्ने पर आर्ट जीवंत सी लगती है, विशेषकर हलकान सिंह द्वारा कुत्तों पर अत्याचार किए जाने के दृश्य तथा सूरज द्वारा अपने कुत्ता भाइयों के साथ मिलकर सांभा का शिकार किए जाने वाले दृश्य बेहद वीभत्स बने हैं।
The Name Controversy
खैर अब लौटते हैं उस सवाल पर जिसके साथ इस रिव्यू की हमने शुरुआत की थी। अगर कचरा पेटी के पृष्ठ 25 पर ध्यान दें तो डोगा यह साफ बताता है की ठाकुर बाबा ने उसका नाम सूरज रखा था, लेकिन उसे उस समय कुछ भी नहीं पता था कि सूरज क्या होता है और नाम क्या होता है। उसे इन शब्दों के अर्थ सोनू बताती है।
इस विषय पर मैं यही कहूंगा कि संजय जी द्वारा इस error को संभालने का प्रयत्न किया गया है लेकिन वह प्रश्न कुछ और सवालों को जन्म देता है।
जैसे कि कचरा पेटी में दिखाया गया कि ठाकुर बाबा ने सूरज को हिंदी और अंग्रेजी alphabets सिखाए थे। ऐसे में सवाल उठना जायज है कि क्या ठाकुर बाबा सूरज को नाम और सूरज जैसे शब्दों के अर्थ समझा नहीं पाए?
कहीं ना कहीं यह विवाद मुझे थमता हुआ नहीं दिख रहा है।
Final Word
कुल मिलाकर अगर बात करें तो मेरी सोनू की कहानी प्रथम भाग कचरा पेटी के मुकाबले कमजोर लगती है। इसको खरीदने की मात्र दो वजह है।
प्रथम – इसका आर्ट
दूसरा – यह एक श्रृंखला का भाग है.