Hello Comic Nerds
पिछले कुछ दिनों से हॉरर कहानियां पढ़ने का मन कर रहा था। इसलिए राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित थ्रिल हॉरर सस्पेंस कॉमिक्स के अपने गट्ठर को अलमारी से बाहर निकाल लिया है। बचपन में यह कॉमिक्स पढ़ने में काफी डर लगता था। लेकिन अब जवानी और बुढ़ापे के बीच में फंसी जिंदगी से उम्मीद है कि डर पर काबू रख पाऊंगा।
तो चलिए आज करते हैं राज कॉमिक्स प्रकाशन की थ्रिल हॉरर सस्पेंस कॉमिक्स मौत का स्टेशन (Maut ka Station) का dissection.
Credit
- Writer – Tarun Kumar Wahi
- Art Direction – Pratap Mullick
- Art – Chandu
- Calligraphy – Uday Bhaskar
- Editor – Manish Chandra Gupta
Plot
मौत का स्टेशन कहानी है एक रेलवे स्टेशन की जहां पर एक कंकालनुमा भूत ने मौत का आतंक मचा रखा है। उस भूत के पीछे की सच्चाई क्या है और वह भूत उस स्टेशन से क्या ताल्लुक रखता है इसी रहस्य की कहानी इस कॉमिक्स में कही गई है।
Art
कॉमिक्स में चित्रांकन चंदू जी का है। कला निर्देशन प्रताप मुलिक जी के द्वारा किया गया है। चित्रांकन औसत है और ऐसा कोई भी पैनल नहीं है जिसे देखकर आप मंत्रमुग्ध हो सके। रात के दृश्य में ना जाने क्यों एक प्रमुख किरदार का चेहरा नीला सा दिखाया गया है जो काफी अटपटा लगता है।
Story
कॉमिक्स की कहानी को दो भागों में बयान किया जा सकता है। पहले भाग में रेलवे स्टेशन पर होने वाली हत्याएं और दिखाई देने वाले भूत का एंगल काफी रहस्यमई बना है। उसे पढ़ते वक्त आप के मन में उत्सुकता बढ़ना तय है।
वही कहानी के दूसरे भाग में, जहां मुख्य किरदार मौत के इस स्टेशन की छानबीन करने के लिए आता है, वहां कहानी काफी predictable हो जाती है।
मुख्य किरदार को शुरू में ही तीन मवाली गुंडों से पिटवा कर लेखक ने एक बड़ी भूल करी है। इस वजह से कहानी के अंत में जब मुख्य किरदार उन्हीं गुंडों से आसानी से जीत जाता है, तब थोड़ा अजीब सा लगता है।
कहानी के अंत में जब रहस्य से पर्दा हटता है तो किसी को आश्चर्य नहीं होता है क्योंकि तब तक शायद अधिकतर पाठकों ने सही अनुमान लगा लिया होगा।
शुरुआत में जिस प्रकार से कहानी को गढ़ा गया था, उसका समापन करने में काफी कमी रह गई।
Final Verdict
मौत का स्टेशन एक औसत कॉमिक्स है जिसे घिसे पिटे फार्मूले से अलग हटकर एक नई दिशा दी जा सकती थी। उम्मीद है कि राज कॉमिक्स के तीनों धड़े, थ्रिल हॉरर सीरीज का पुन: उद्घाटन करेंगे, और हमें नई कहानियां पढ़ने को मिलेंगी।
कॉमिक बुक के साथ ऐसा मैंने भी महसूस किया है। मुझे लगता है पेजों की लिमिट के कारण वो कहानी को डेवलप नहीं कर पाते हैं। फिर संपादन की कमी भी ऐसे कॉमिक बुक्स में झलकती है। ये समझ नहीं आता है कि संपादक आखिर करते क्या था उन दिनों। केवल नाम लिखते थे क्या?? हां थ्रिल हॉरर सस्पेंस की सीरीज को शुरू किया जाना चाहिए।