जब यह खबर प्रसारित हुई की फ्लाइड्रीम्स कॉमिक्स नामक एक नया प्रकाशन वरिष्ठ लेखक श्री परशुराम शर्मा जी की लिखी कहानी से शुरुआत कर रहा है तो निसंदेह उम्मीदें बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। इस कॉमिक्स का शीर्षक लावा (Lava) रखा गया और आज होने जा रहा है इस कॉमिक्स का dissection
Credits
- Writer – Parshuram Sharma
- Art – Shahnawaz Khan
- Cover title and effects – Nishant Maurya
- Lettering – Nishant Parashar
- Editor – Shahnawaz Khan/Anurag Singh
Story
राजा बलि और विष्णु अवतार भगवान वामन की कहानी को पृष्ठभूमि बनाकर इस कथा की रचना की गई है। कहानी निसंदेह रोचक है और पाठक के सामने यह यक्ष प्रश्न छोड़ती है कि क्या एक पीढ़ी के किए की सजा आने वाली तमाम पीढ़ियों को भुगतना चाहिए? कहानी में रहस्य भी है, रोमांच भी है और भरपूर एक्शन भरा हुआ है लेकिन फिर भी कहानी काफी अधूरी सी लगती है। 28 पृष्ठों में सिमटी इस महागाथा का यह पहला अंक अंत तक पहुंचते-पहुंचते काफी confusing हो जाता है। कुछ प्रसंग बेहद जल्दी में खत्म हो जाते हैं जिसकी वजह से कहानी काफी rushed लगती है। कहानी का शीर्षक लावा है मगर जहां पर भी कथानक कुछ गर्माने लगता है, लेखक जल्दबाजी में पानी डालकर उस लावा को ठंडा कर देता है। कुल मिलाकर कांसेप्ट अच्छा है मगर execution कमजोर पड़ गया है।
Art
इस कॉमिक्स का आर्ट वर्क अजीब सा है। कुछ जगह तो चित्रांकन और कलरिंग बेहद नायाब लगती है वहीं कुछ जगह चित्रांकन बेहद साधारण और कलरिंग जरूरत से ज्यादा डार्क दिखती है। इस वजह से कहानी का पूरा लुत्फ उठाना मुश्किल हो जाता है और पाठक की आंखों में दर्द भी हो सकता है। एक ही फ्रेम में ड्रैगन का चित्र highly detailed दिखता है वही मुख्य किरदार चित्रण किसी नए नवेले आर्टिस्ट का कार्य लगता है। कुछ फ्रेम में कलर इफैक्ट्स वाकई में लाजवाब है, तो कुछ मे बिल्कुल नदारद। इसी वजह से कॉमिक्स का आर्टवर्क मात्र संतोषजनक बनकर रह जाता है।
Final Verdict
लेखक परशुराम शर्मा जी का नाम जुड़ा होने के कारण इस कॉमिक से काफी सारी अपेक्षाएं थी, दुर्भाग्यवश वह पूरी नहीं हो पाती है। एडिटिंग में थोड़ा और समय लगाकर इस शुरुआत को लाजवाब बनाया जा सकता था, मगर फ्लाइड्रीम्स की टीम जल्दबाजी में अधपके पकवान सा प्रोडक्ट लेकर आ गई है।