Hello Comic Nerds
किंग कॉमिक्स की शुरुआत कैसे हुई और अंत कैसे हुआ इस सब की मुझे कोई जानकारी नहीं है। कॉमिक्स पाठक हूं कॉमिक्स इतिहासकार नहीं। लेकिन किंग कॉमिक्स का अंत क्यों हुआ इसका मुझे थोड़ा-थोड़ा अंदेशा पिछले कुछ दिनों में किंग कॉमिक्स के कुछ अंक पढ़कर होने लगा है।
तो बिना देर किए इन कारणों को जानने की कोशिश करते हुए करते हैं किंग कॉमिक्स के सुपर हीरो ब्लाइंड डेथ के इकलौते विशेषांक किलिंग मशीन (Killing Machine) का dissection.
Credits
- Writer – Nazra Azhar
- Art – Dileep Chaube
- Coloring – Deepika (assisted by Anjani)
- Editor – Vivek Mohan
Plot
जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है किलिंग मशीन (Killing Machine) कहानी है एक टैंक जैसे खतरनाक हथियार की जिसने एक स्टेडियम में हजारों लोगों को बंधक बना लिया है। इस हथियार का संचालन करने वाले लोगों की दो ही मांग है जिनमें से एक मांग है ब्लाइंड डेथ को बुलाया जाए। आखिर कौन कर रहा है इस किलिंग मशीन का इस्तेमाल, और ब्लाइंड डेथ का इसमें क्या किरदार है, इसी की कहानी इस कॉमिक्स में कही गई है।
Art
इस कॉमिक्स का आर्ट वर्क वाकई में बहुत ही अटपटा सा है। एकाद एक्शन सींस को छोड़कर कोई भी चित्र देखने में बहुत अच्छा नहीं लगता है। प्रमुख किरदारों के चेहरे काफी cartoonish लगते हैं। दिलीप चौबे जी के द्वारा जिस प्रकार से तिरंगा में आर्टवर्क दिया जाता था, इस कॉमिक्स का आर्टवर्क उससे भी आधा ही है।
Story
कॉमिक्स की कहानी बहुत ज्यादा बचकानी सी है। कहानी में बहुत सारे ऐसे एलिमेंट्स हैं जो बेसिर पैर के लगते हैं। इंस्पेक्टर खान सरीखा एक दमदार किरदार दिखाया गया है, जो काफी भारी भरकम डायलॉग्स के साथ कहानी में आता है, लेकिन आते ही पानी में भीगे हुए किसी पटाखे की तरफ फुस्स हो जाता है।
कहानी में एक बच्ची है जो भरे हुए स्टेडियम में दौड़ती हुई चली आती है और जिस किलिंग मशीन पर सेना के टैंक भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं, उसे नंगे हाथों से नष्ट करने दौड़ पड़ती है। मतलब इतना भी मेलोड्रामा नहीं रखना चाहिए।
उसके बाद एंट्री होती है कॉमिक्स के सुपर हीरो यानी देसी डेयरडेविल ब्लाइंड डेथ की।
आखिरकार रहस्य से पर्दा उठता है और पता चलता है कि उस किलिंग मशीन को चलाने वाले लोगों को एक ऐसी चाबी की आवश्यकता है जो दुनिया में एकलौती है, और उस मशीन को बेकार करने की ताकत रखती है।
आखिरकार ब्लाइंड डेथ और इंस्पेक्टर खान दुश्मन के अड्डे पर पहुंच जाते हैं। और वहां से कहानी बेहद पकाऊ हो जाती है।
अगले 30 पन्नों तक बेमतलब का एक्शन चलता है जहां कई बार लेखक मुख्य किरदार को ही एक हार मान लेने वाले व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है।
कहानी के अंत में ब्लाइंड डेथ को विजय मिलती है, लेकिन इस विजय की कीमत उसे अपने एक करीबी की जान देकर चुकानी पड़ती है।
Final Verdict
किलिंग मशीन एक जल्दबाजी में लिखा गया विशेषांक है। इस प्रकार की कहानियों की वजह से ही किंग कॉमिक्स का सितारा उदय होते ही अस्त्त हो गया होगा। इस कॉमिक्स की कीमत सिर्फ एक कलेक्टर आइटम के रूप में ही रहेगी क्योंकि किंग कॉमिक्स के तहत प्रकाशित ब्लाइंड डेथ का यह पहला और आखरी विशेषांक था।
उस वक्त के कई उपन्यास ऐसे ही लगते हैं कि बस घिसने को घिस दिए हैं। क्या कर सकते हैं?