Hello Comic Nerds
किसी भी हॉरर स्टोरी की सबसे बड़ी खासियत होती है की कहानी के आखिरी तक रहस्य से पर्दाफाश नहीं होता है। आखरी तक पाठक यह अनुमान लगाता रहता है कि आखिर कहानी में घटित होने वाली घटनाएं क्यों हो रही है और कैसे हो रही है।
आज जिस कॉमिक्स का मैं dissection करने जा रहा हूं उसका शीर्षक है खिड़की। आइए जानते हैं कि क्या यह कॉमिक्स थ्रिल हॉरर सस्पेंस के इस पैमाने पर खरी उतरती है या नहीं।
Credits
- Writer – Tarun Kumar Wahi
- Art – Mullick Studios
- Editor – Manish Chandra Gupta
Plot
खिड़की (Khidki) कहानी है मीनू नामक एक लड़की की जो हर बार मौत के मुंह से एक रहस्यमय तरीके से बच जाती है। आखिर कौन लेना चाहता है उसकी जान और कौन उसे हर बार मौत से बचाता है, इसी की कहानी है खिड़की।
Art
कॉमिक्स में आर्ट प्रताप मुलिक जी के निर्देशन में किया गया है। लेकिन यह साफ स्पष्ट है कि मुलिक जी का ज्यादा योगदान इस कॉमिक्स में नहीं रहा है। इस वजह से जहां कुछ फ्रेम्स में आर्ट ठीक-ठाक बना है वहीं ज्यादातर में आर्ट किसी नए कलाकार के द्वारा किया गया लगता है। लेकिन आर्ट चाहे जैसी भी हो कॉमिक्स में वीभत्स दृश्य काफी वीभत्स बने हैं।
Story
कॉमिक्स की कहानी में काफी हद तक सस्पेंस को आखिरी पन्ने तक खींचा गया है। लेकिन कॉमिक्स के मध्य तक यह शक उत्पन्न होने लगता है कि मीनू की जान लेने की कोशिश करने वालों के पीछे कोई उसका बहुत ही करीबी अपना है।
आखिर में जब रहस्य खुलता है तो उतना अचंभा नहीं होता है। कॉमिक्स के शीर्षक को मात्र एक Frame के माध्यम से समझाने का प्रयत्न भी आखरी पृष्ठ में किया गया है।
Medical Alert
बस कहानी में एक बहुत बड़ी गलती आखरी में की गई है जिसमें लेखक ने यह लिखा है कि एस्प्रिन की गोली देने से इंसान का हार्ट फेल हो जाता है, जबकि सच तो यह है कि हार्ट अटैक आने पर एस्प्रिन की गोली फायदा करती है।
Final Verdict
कुल मिलाकर खिड़की केवल एक बार पढ़ने योग्य कॉमिक्स है। एक औसत कहानी को लेखक ने अपने स्तर से जितना संभव हो सका उतना अच्छा बनाने का प्रयत्न किया है, लेकिन एक बार पढ़ने के बाद यह कॉमिक्स दुबारा पढ़ने में कोई आनंद नहीं देगी।
वाही जी के तुलसी से प्रकाशित ऐसे कॉमिक भी काफी पढ़ें जो कि एक बार पढ़े जा सकते हैं। ये ठीक भी होते हैं गाहे बगाहे देख लो अगर कहानी याद न हो तो।
Ye comic mere paas hy….
Ye sahi kaha aapne ki…ye dobara padhne par koi mza nhi degi