Hello Comic nerds
डोगा की कहानी हो और मेलोड्रामा ना हो यह तो संभव नहीं है। यह मेलोड्रामा ही है जो डोगा एक कहानियों को लुभावना बनाता है। आखिरकार बॉलीवुड और एकता कपूर के धारावाहिकों की खुराक पर पले बढ़े लोगों को बिना मेलोड्रामा की चीजें पसंद आना असंभव ही होगा।
डोगा की कहानी हो और हिंसा ना हो, यह भी संभव नहीं है। अब अगर डोगा की ही कहानी में अहिंसा का तड़का मार दिया जाए तो जो पकवान तैयार होगा वह लाजवाब तो होना ही चाहिए।
बस हिंसा, अहिंसा और मेलोड्रामा को मिलाकर बनी एक ऐसी ही खिचड़ी कहानी श्रृंखला का आज मैं करने जा रहा हूं dissection.
Hey Ram Trilogy
हे राम (Hey Ram) कहानी श्रृंखला में निम्न तीन कॉमिक्स क्रमवार है
1. हे राम
2. टॉर्चर
3. जलियांवाला
Credits
- Writer – Tarun Kumar Wahi/Vivek Mohan
- Art – Manu
- Calligraphy and Coloring – Sunil Pandey
- Editor – Manish Gupta/Sanjay Gupta
Plot
कहानी एक ऐसे अहिंसा वादी व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है जिसका अहिंसा का सिद्धांत गांधीजी के सिद्धांत से मिलता तो है, लेकिन अहिंसा को लागू करने और हिंसा को रोकने का उनका तरीका काफी अलग है। क्या होता है जब यह अहिंसा वादी एक हिंसक अपराधी से टकरा जाता है, और इनके टकराव के बीच में हिंसा के प्रयोग से अहिंसा की रक्षा करने उतर पड़ता है डोगा।
Story
इस कहानी की सबसे खास बात यह है की कहानी कहीं पर भी धीमी नहीं पड़ती है। हे राम के पहले पृष्ठ से जलियांवाला के अंतिम पृष्ठ तक, लगातार कहानी में कोई न कोई मोड़ आता रहता है जिसकी वजह से पूरी श्रृंखला एक बार में पढ़ी जा सकती है। हरी बापू का किरदार काफी अलग सा दिखाया गया है, लेकिन उनकी करनी में कई जगह विरोधाभास भी दिखा है।
जैसे कि हथियारों के प्रयोग का विरोध करने वाले हरी बापू, बिना किसी संकोच के रॉकेट लांचर चला देते हैं। इसे तो हिंसक रूप से जेल तोड़ने का कार्य माना जाएगा।
कहानी का एक और भाग थोड़ा हास्यास्पद लगता है जब डोगा को केवल मास्क और चड्डी में टॉर्चर टेबल पर लेटा हुआ दिखाया जाता है। विलेन द्वारा डोगा के सभी कपड़े उतार देने के बाद भी उसका मास्क छोड़ देना समझ के परे है।
कहानी का विलन दादा, एक generic गुंडा है जो कि डोगा की तकरीबन हर कॉमिक्स में आते रहते हैं। ये किरदार कुछ खास भय नहीं पैदा करता है। भ्रष्ट इंस्पेक्टर का किरदार भी एक औसत किरदार ही है।
ऐसे औसत किरदारों के साथ एक चुस्त कहानी लिखना, तरुण कुमार वाही जी की लेखनी की शक्ति को दर्शाता है।
Art
कॉमिक्स में चित्रांकन मनु जी का है जो कि हमेशा की तरह लाजवाब है। एक एक किरदार के चेहरे की भावभंगिमा, उस वक्त कहानी में चल रहे भावों को व्यक्त करने में शत-प्रतिशत सफल रहती है।
उदाहरण के लिए क्लाइमेक्स में बेहोश डोगा को जगाते वक्त मोनिका की चेहरे पर दर्शाई गई भावनाओं का सैलाब किसी को भी उस किरदार के दर्द से वाकिफ कराने की काबिलियत रखता है।
Final Verdict
तीन कॉमिक्स कि ये श्रृंखला डोगा की अच्छी कहानियों में से एक है और इसे ना पढ़ने की कोई भी वजह नहीं है।
कॉमिक के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख। जल्द ही पढ़ने की कोशिश रहेगी। डोगा का यह डाइजेस्ट जल्द ही खरीदूंगा