नूतन कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित भूतनाथ एक ऐसा किरदार है जिसके बारे में मैंने बहुत कुछ सुना है। कई लोग तो नॉस्टैल्जिया के चक्कर में इस किरदार के बारे में ऐसी बातें करते हैं जैसे कि सुपरमैन और बैटमैन के बाद यही सबसे महानतम सुपर हीरो है। हालांकि मुझे भूतनाथ की कॉमिक्स बिल्कुल भी पसंद नहीं आई लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की सलाह को मानते हुए मैंने निर्णय लिया कि एक बार फिर भूतनाथ की कहानी पढ़कर dissection किया जाए।
Art
इस कॉमिक्स के आर्ट वर्क के बारे में कुछ विशेष कहने के लिए है नहीं। उस जमाने में कॉमिक्स का अर्थ सिर्फ चित्रों के माध्यम से कहानी कहना ही होता था। चित्र कैसे हैं इस पर कोई भी ध्यान नहीं देता था। उदाहरण के लिए इस कॉमिक्स में भूतनाथ एक समुद्री सफर पर निकलता है।
कहानी आजाद भारत के समय काल की है लेकिन ना जाने क्यों भारतीय नौसेना के जिस जहाज पर भूतनाथ सफर करता है वह Pirates of the Caribbean की स्क्रिप्ट से निकला हुआ लगता है। कुछ पल के लिए तो मुझे यही लगा कि अगले फ्रेम में शायद Captain Jack Sparrow, Barbosa या फिर Black Beard के दर्शन हो जाएंगे।
जहां एक और भारतीय नौसेना लकड़ी के जहाज में त्रिपाल बांधे हुए सफर कर रही है वहीं दूसरी ओर एक छोटे से टापू पर रहने वाले एक कबीले के पास आधुनिक युग का स्टीमर दिखाया गया है। औसत से भी साधारण आर्ट वर्क से सजी इस कॉमिक्स का जो आर्टवर्क आपको सबसे ज्यादा अचंभित करेगा वह इसके कवर पेज का है। यकीन मानिए की कवर पेज में दिखाये गये एक भी दृश्य से संबंधित कुछ भी इस कॉमिक्स में नहीं है।
Story
यकीन मानिए इस कॉमिक्स को पढ़ने के बाद मेरे मन में इतने सवाल उठ चुके हैं कि मेरी दिली तमन्ना है समय यात्रा करने की। काश मुझे कहीं से टाइम मशीन मिल जाए ताकि मैं उस कालखंड में जा सकूं जहां इस कॉमिक्स की परिकल्पना की जा रही थी। ताकि मैं इस कॉमिक्स के सृजन को रोक सकू। सर्वप्रथम तो इस कॉमिक्स का शीर्षक है हवेली का प्रेत किंतु इस कहानी में ना कोई हवेली है और ना कोई प्रेत है। प्रेत के नाम पर अगर कुछ है तो वह है इस कॉमिक्स के मुख्य किरदार का नाम भूतनाथ।
कहने को तो भूतनाथ एक बेहद ताकतवर एवं समझदार vigilante है जिसकी सहायता भारतीय सरकार को भी लेनी पड़ती है। मगर हमारा सुपर हीरो इतना काबिल है कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। 32 पृष्ठों की इस कहानी में सोल्हवे पृष्ठ पर भूतनाथ जी को विदेशी दुश्मन अगवा कर लेते हैं। और उसके पश्चात पृष्ठ संख्या 30 तक भूतनाथ जी कैदी रहते हैं। मेरे जीवन में यह पहली कॉमिक्स है जहां सुपर हीरो को इतना असहाय दिखाया है कि उसको खुद रेस्क्यू की जरूरत पड़ जाती है। कहानी में एक सेक्सी बाला भी है जिनका नाम चुंबा है। यह विदेशी जासूस है मगर भूतनाथ को अगवा करवाने के बाद अचानक से इनके मन में भारत के प्रति प्रेम जाग जाता है और यह जहर खाकर आत्महत्या कर लेती हैं।
कहानी में एक छोटा सा द्वीप है जहां के लोग विदेशी ताकतों की दमनकारी गतिविधियों की वजह से काफी डरे हुए हैं और कुछ कर नहीं पा रहे हैं, मगर अचानक वह पूरे लाव लश्कर के साथ दुश्मन पर हमला कर देते हैं और भूतनाथ को भी छुड़ा लेते हैं। मतलब इस कॉमिक्स में कुछ भी कभी भी कहीं भी हो रहा है और मैं यह सोचने पर मजबूर हूं कि अगर आज के जमाने में यह कॉमिक्स छपती तो कॉमिक्स ग्रुपस में क्या माहौल होता।
Final Verdict
मत पढ़ना भाई। मैंने पढ़ी थीं और मेरे सर के बाल कम हो गए। पता नही सर में दर्द क्यों हो रहा है। खैर इस भूतनाथ की राइट्स राज कॉमिक्स वालो ने क्या सोच के खरीदी इसका पता चले तो बताना। चलते है और मिलते है जल्दी ही भूतनाथ के पहले और शायद भारतीय कॉमिक्स इतिहास के भी पहले विशेषांक के साथ।