Hello Comic Nerds
Enid Blyton एक ऐसा नाम है जिसे शायद दुनिया कभी भुला नहीं पाएगी। उन्होंने बच्चों की समझ को समझते हुए ऐसे बेहतरीन किरदारों की संरचना करी की उनकी मृत्यु के 50 साल बाद भी उनकी कहानियां छपती है, बिकती हैं और पढ़ी जाती है।
उनकी कहानियों के मुख्य किरदार होते थे बच्चे। फेमस फाइव हो या सीक्रेट सेवन, उनकी कहानियों में बच्चों की टोली एक से बढ़कर एक जासूसी कारनामों को अंजाम देती थी और अपराधियों को पकड़वाने में मदद करती थी।
उनकी लेखनी से ही प्रभावित होकर सन उन्नीस सौ अस्सी और नब्बे के दशक में भारतीय लेखकों ने बाल किरदारों की रचना करी। यह बाल किरदार अपनी उम्र से अधिक क्षमता रखते थे। और जासूसी कारनामों को अंजाम देते थे।
लेकिन अतिशयोक्ति की जो आदत हमारे लेखकों में थी उससे यह किरदार भी अछूते नहीं रहे।
ऐसी ही अतिशयोक्ति अलंकार से भरी हुई 2 अंकों में प्रकाशित एक कहानी का मैं आज करूंगा dissection.
कॉमिक्स के नाम है
1. दुश्मनों के दुश्मन
2. आफत के पुतले
Credits
- Writer – Bimal Chatterjee
- Art – C M Vitankar
Plot
कहानी है एक काले टापू की। उस काले टापू पर राज करता है चीनी भगोड़ा अपराधी फोमांचू। काले टापू पर उसने बना रखा है अपना खुद का साम्राज्य। और उस साम्राज्य में कैद हैं भारतीय वैज्ञानिक। इन भारतीय वैज्ञानिक के rescue mission की जिम्मेदारी दी जाती है राम रहीम को। बस इसी मिशन की कहानी इन दो कॉमिक्स में कही गई है।
Story
अब कोई कुछ भी कहे यह कहानी तो पूरी फिल्मी है। और राम रहीम परले दर्जे के बेवकूफ जासूस। कहानी के पहले भाग में उनके द्वारा लगाई गई कोई भी रणनीति सफल नहीं होती है। दोनों बुद्धिमान जासूस केवल बचते हुए भागते फिरते हैं।
लोकल की इस इस कहानी में कोई हद नहीं है। हेलीकॉप्टर से चाहे जितनी गोलियां और बम बरसाए जाए, सपाट मैदान में दौड़ते राम रहीम का बाल भी बांका नहीं होता है। ऐसा लगता है कि फोमांचू ने सैनिकों की खरीदारी चीन के किसी मंगल बाजार से करी है।
खुला मैदान हो, पहाड़ी हो या घना जंगल हो। दुश्मनों की एक भी गोली राम रहीम को नहीं लगती है। लेकिन ग्रेट गन मास्टर राम रहीम की कोई गोली बर्बाद नहीं होती है।
आखिरकार शेरलॉक होम्स के चेले राम रहीम दुश्मनों की गिरफ्त में आ जाते हैं। लेकिन मंगल बाजार के सिपाही बिना राम रहीम से उनका हथियार छीने, उन्हें हेलीकॉप्टर से टांग कर अड्डे की तरफ बढ़ चलते हैं।
दुश्मन को पकड़ने के बाद उसको निहत्था कर देना, इतना तो कॉमन सेंस दिखाते।
कहानी के अंत में राम रहीम मानो Arnold Schwarzenegger वाला Commando और Sylvester Stallone वाला Rambo बन जाते हैं। ना भाई हम तो ऐसे नॉस्टैल्जिया के चश्मे से नहीं देख सकते। यह कहानी नहीं गपोड़ी गाथा है।
Art
कॉमिक्स के कवर और आर्ट विटंकर जी के है। कवर पेज से लेकर अंदर के एक एक पन्ने पर उकेरे गए चित्र लुभावने हैं, और केवल इस पैमाने पर कॉमिक्स की सराहना की जा सकती है।
Final Verdict
राम रहीम के मेरे पिछले dissection पर कई लोगों ने मुझे सलाह दी कि आप और कहानियां पढ़िए। उनकी सलाह और सुझावों का आदर करते हुए मैंने यह दो कॉमिक्स पढ़ी। और मैं यही कहूंगा कि यह कॉमिक्स केवल संग्रह के लिए रखने योग्य है।
और का तात्पर्य इनसे इतर रहा होगा। रोचक डिसेक्शन।