अब आप सोचेंगे कि यह किस प्रकार का नाम है। असल में बात यह है कि जब कभी मैं किसी पुरानी कॉमिक्स का dissection करता हूं और उसमें कमियां निकालता हूं तो लोग मुझ से खासे नाराज होते हैं। कुछ तो यह तक कहते हैं कि मुझे कहानियों की समझ नहीं है, और कुछ यह कहते हैं कि मैं उनके बचपन की यादों को बर्बाद कर रहा हूं। मगर सच तो यह है कि मैं सिर्फ और सिर्फ कहानियों की समीक्षा कर रहा हूं। और आज जिस कॉमिक्स कि मैं समीक्षा करने जा रहा हूं वह है राज कॉमिक्स की थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला की कॉमिक्स एक रात की मेहमान।
तो जैसा कि मैंने कहा कि मेरा उद्देश्य किसी प्रकार की कॉन्ट्रोवर्सी पैदा करना नहीं। मैं मात्र कॉमिक्स की समीक्षा नॉस्टैल्जिया के चश्मे को उतारकर कर रहा हूं। Nostalgia एक ऐसा शब्द जिसने पिछले 2 साल से भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री को संभाला हुआ है, लेकिन कहीं ना कहीं यह शब्द, भारतीय कॉमिक्स के evolution मे बाधक भी बन रहा है। Dissection की इस श्रृंखला का नामकरण केवल इस बाधा को पार करने के लिए किया गया है। तो आइए इस चश्मे को उतारकर जानते हैं कि कैसी कॉमिक्स है एक रात के मेहमान।
Credits
- Writer – Raja
- Art direction – Pratap Mullick
- Art – Chandru/Praful Gaade
Art
अगर किसी कॉमिक्स के साथ आदरणीय प्रताप मुलिक जी का नाम जुड़ा हो तो उसका आर्ट अवश्य ही लुभावना होगा। इस कॉमिक्स में भी आर्ट कहीं से भी निराश नहीं करती है। एक एक किरदार से लेकर एक एक फ्रेम तक यह कॉमिक्स लुभावने चित्रों से भरी हुई है। चाहे वह भूतिया हवेली के डरावने दृश्य हो या फिर शहर के जीवन को दर्शाते हुए चित्र हो, इस कॉमिक्स का आर्ट वर्क बेहद सहज और आंखों को सुकून देने वाला है।
Story
जितनी तारीफ इस कॉमिक्स के आर्ट की की जाए, कहानी उतनी ही साधारण है। हालांकि कहानी की शुरुआत काफी अच्छी है, लेकिन कुछ पन्नों के बाद ही कहानी भूतिया कम और मूर्खतापूर्ण ज्यादा लगती है। अगर आप किसी कार में बैठे जो बिना ड्राइवर के चल रही हो तो आप कितने भी बड़े वैज्ञानिक क्यों ना हो, आपका natural reaction उतर कर भाग लेने का होगा। अगर आपकी कार में घायल पड़ी एक महिला यकायक गायब हो जाए, तो आपके कान से लेकर वहां तक सीटियां बजे उठेगी। लेकिन इस कहानी में इतना सब कुछ होने के बाद भी मुख्य किरदार का ना डरना और उससे भी ज्यादा उत्सुक होकर सवाल ना करना काफी अखरता है।
कहानी की दूसरी सबसे बड़ी कमजोरी है predictability. जहां हवेली में मौजूद औरत की आत्मा अपनी कहानी सुनाती है, वहीं पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कहानी किस दिशा में जाने वाली है। उसके बाद कहानी मात्र एक खानापूर्ति सी लगती है और कहानी का अंत बिल्कुल भी रोमांचक नहीं बन पाता है। कहानी में फोकटराम नामक एक किरदार है जो अपने हर संवाद में फोकट शब्द का प्रयोग करता है। भूतिया हवेली में जाने के बाद भी उसका तकिया कलाम नहीं छूटता है। इस प्रकार इस कहानी में कोई भी ऐसा किरदार नहीं है जो किसी प्रकार से मनोरंजन कर सकें।
Final Verdict
एक रात के मेहमान एक बेहद साधारण सी कहानी है जो आज मात्र नॉस्टैल्जिया के चलते बिक रही है। ऐसी कहानियां ना उस दौर में मनोरंजन कर सकती थी और ना आज कर सकती है। हम जब तक इस प्रकार की साधारण कहानियों का सेवन करते रहेंगे, हमारी भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री कभी उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाएगी, जिसकी हमें उम्मीद है।