बुल्स आई प्रेस की ड्रैकुला कॉमिक्स काफी विवादों में रही थी। ऐतिहासिक किरदारों को लेकर रची गई वह काल्पनिक गाथा कुछ कट्टरवादियों को रास नहीं आई थी। इसी वजह से यह कयास लगाए जा रहे थे की एक बार फिर ऐतिहासिक किरदारों को लेकर एक काल्पनिक पृष्ठभूमि पर रची गई इस श्रृंखला के दूसरे भाग मे भी कुछ विवादास्पद हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि क्या वाकई में Dracula Revelations विवादों को जन्म देने का माद्दा रखती है या नहीं।
Credits
- Writer – Sudeep Menon
- Art – Deepjoy Subba
- Color – Mauritio
- Lettering/Graphic design/Editing – Raviraj Ahuja
Artwork
दीपजॉय सुब्बा का आर्टवर्क थोड़ा unconventional होता है। और यही बात उनके आर्टवर्क को और लुभावना बनाती है। आर्ट को लेकर मेरा यह मत रहा है की हर चित्रकार का आर्टवर्क भिन्न होना चाहिए। अगर सब युवा चित्रकार किसी वरिष्ठ चित्रकार को कॉपी करने का प्रयास करेंगे तो विविधता कहा से आएगी? दीपजॉय के चित्रों की ये सिग्नेचर शैली उनके हर काम को अच्छा बनाती है। इसके अतिरिक्त इस कॉमिक्स में मौरीशियो द्वारा दिए गए रंग ड्रैकुला की कहानी को वो ambience देते है जो उस किरदार पर बखूबी जंचता है। हालांकि एक शिकायत भी है की कॉमिक्स शुरू से अंत तक बेहद डार्क है, इतनी ज्यादा की दिन के चित्र भी डार्क ही लगते है। ड्रैकुला के पतन के बाद कुछ फ्रेम्स में उजाला दिखाना सत्य की असत्य पर जीत को दर्शाने का काम और बेहतर ढंग से कर सकता था।
Story
ड्रैकुला 2 की कहानी में वो सब कुछ है जो एक अच्छी कहानी में होना चाहिए। रहस्य, क्रूरता, वीरता से परिपूर्ण यह कहानी विवादो से दूरी बनाते हुए चलती है। असली ऐतिहासिक किरदारों को एक काल्पनिक किरदार से जोड़ती इस गाथा में अगर कुछ कम है तो वो है इस कहानी की लंबाई और इसलिए रह जाते है कई अनसुलझे प्रश्न। जैसे की चंद्रगुप्त की यादाश्त मिटाने के बाद चाणक्य ने उसे एक चोर के भांति भटकने को क्यों छोड़ दिया था? चाणक्य को कैसे पता चला की इंद्रदत का असली इरादा क्या था? चंद्रगुप्त ने ड्रैकुला से युद्ध रात में क्यों लड़ा ये जानते हुए भी की रात के अंधेरे में ड्रैकुला की शक्तियां चरम पर होती है? कहानी के अंत में राजाओं की सम्मिलित सेना ने पुनः रात्रिकाल में ही युद्ध लड़ने का निर्णय क्यों लिया? ड्रैकुला की प्रेयसी एलिजा को इतनी सरलता से कैसे पराजित कर दिया गया? ये सारे प्रश्न unanswered रह गए है और इस वजह से कहानी अधूरी सी लगती है।
इसके अतिरिक्त, चंद्रगुप्त को लेकर रचा गया रहस्य कुछ ज्यादा ही सरलता से खोल दिया गया है। इस रहस्योद्घाटन को अगर क्लाइमैक्स में खोला जाता तो impact पॉइंट बनता जैसा कि भाग 1 में पोरस की पत्नी को लेकर किया गया था।
Final Verdict
ड्रैकुला का ये अंक पिछले अंक के मुकाबले थोड़ा कमजोर बना है। आर्टवर्क लाजवाब है किंतु जो ट्विस्ट पोरस की कहानी में दिया था, वो इस कहानी में नही है। हिंदी रूपांतरण में एडिटिंग की कमियां भी है जैसे की पृष्ठ 10 में सवालों की जगह सावलों लिखा होना। फिर भी यह कॉमिक्स मनोरंजन के पैमाने पर अच्छी बनी है। अगर लेने का मन है तो हिंदी का वेरिएंट कवर लीजिए क्योंकि वो एक अलग ही फील देता है।