ड्रैकुला।
Bram Stoker द्वारा रचित यह काल्पनिक किरदार शायद कॉमिक्स एवं फ़िल्म जगत में massively overused हुए fictional characters में से एक है। इस किरदार के नाम के साथ एक mystery, एक mystical aura और एक undeniable horror element जुड़ा है जिसके चलते ड्रैकुला को freely अलग अलग रूप में use किया गया है।
अगर भारतीय कॉमिक्स की बात करे तो राज कॉमिक्स, मनोज कॉमिक्स और यहां तक कि डायमंड कॉमिक्स ने भी इस किरदार को लेकर सफल कॉमिक्स रचित की है जो कि सभी blockbuster साबित हुई है। ऐसे में bullseye publication द्वारा जब ड्रैकुला नाम से कॉमिक्स का एलान किया गया तो as a reader मुझे बहुत ज़्यादा interest नही आया। किन्तु आजकल कॉमिक्स लेने का ऐसा भूत लगा है कि दो बार preorder cancel करने के बाद आखिर मैंने preorder कर ही दिया। और यह मेरे जीवन मे बिना सोचे समझे लिए गए फैसलों में एक सफल decision का rare exception बन गया।
अगर इस कॉमिक्स को मुझे एक फ्रेम में define करना हो तो मैं यह फ्रेम शेयर करना चाहूंगा।
तो आइए अपनी dissection table पर इस कॉमिक्स का in detail examination करते है।
1. कथानक – काल्पनिक कहानियों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि वहा कभी भी कुछ भी हो सकता है। ठीक उसी तरह यह कहानी आपको एक ऐसे संसार मे ले जाती है जिसकी आपने कल्पना तक नही की होगी। फ्रेम बाय फ्रेम आप एक ट्विस्ट की तरफ बढ़ते है जो आपको literally wow बोलने पर मजबूर करता है। भारतीय कॉमिक्स में ऐसे प्रयोग शायद ही कभी हुए हो लेकिन इस प्रयोग की सबसे खास बात ये है कि ये ड्रैकुला जैसे एक overused करैक्टर को एक नई energy डाल के जिंदा कर देता है। (I am sure Vlad would have loved this take himself if he could be alive.)
2. आर्ट/कलरिंग/इंकिंग – दीपजोय सुब्बा की आर्ट आंखों के रास्ते दिल से होती हुई दिमाग के न्यूरॉन्स को stimulate करती है। कुछ फ्रेम्स तो इतने लाजवाब बने है कि अगर bullseye में business acumen है तो वो उसके posters ज़रूर निकालेंगे। कलर स्कीम बेहद शानदार है लेकिन आर्ट का सबसे बेहतरीन पहलू war scenes में दिखता है। हालांकि लास्ट के फ्रेम्स जहां vampires राजा पोरस को निशाना बनाते है वहा आर्ट क्वालिटी एकदम से मुर्दों की ट्रेन जैसी हो जाती है (and this is not a compliment).
My verdict 8/10
This is a must have graphic novel.
Controversy (My Take) – अब बात करते है उस विवाद की जो इस कॉमिक्स को लेकर काफी लोगों ने मचाया। कुछ बोलने से पहले में यह स्पष्ट कर दू की If I have a communist and a cobra standing in front of me and I have to save one, I’ll save cobra. That is how much I dislike communist ideology.
Having cleared that मुझे इस कॉमिक्स पर मचाई गयी controversy बेहद बचकानी लगी। राजा पुरु और सिकंदर के युद्ध का वास्तविक सत्य क्या है यह मायने नही रखता। अगर राजा पुरु हार भी गए थे तो भी वो हमारे आदरणीय पूर्वज रहेंगे क्योंकि उन्होंने बहादुरी से युद्ध किया। His legacy is not that weak that it can be harmed by a work of fiction. रही बात कॉमिक्स की तो यह साफ है कि यह पूर्णतया काल्पनिक कहानी है और ऐसी कल्पनाशक्ति वाले लेखक का हमे स्वागत करना चाहिए। कहानी कही से भी राजा पुरु के काल्पनिक चित्रण का भी मजाक बनाती हुई नजर नही आती है, तो वास्तविक राजा का नाम लेकर विवाद करना बेमानी है।
रही बात राजा पुरु की पत्नी को व्लाद की प्रेमिका के रूप में दर्शाने की तो काल्पनिक कहानियों विशेषकर कॉमिक्स में बहुत से ऐसे वाकये होते है जो विज्ञान एवं logic से परे होते है। उनको लेकर outraged होना या newton के laws याद करना समय व्यर्थ करना होगा। There is a phrase in English called “Suspension of Disbelief”. कॉमिक्स पढ़ते वक्त हमेशा ये mode on रखना चाहिए ताकि आप कॉमिक्स को enjoy कर सके। thesis लिख़ने और पीएचडी करने के लिए और भी बहुत सी किताबे और विषय है।
जीवन बेहद खूबसूरत है, इसलिए कॉमिक्स पढ़िए, खुश रहिये। outrage कीजिये लेकिन always choose your battles carefully।