Hello Comic Nerds
भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री की जब बात की जाती है तो सर्वप्रथम नाम जो दिमाग में आता है वह होता है राज कॉमिक्स का। इसके बाद अन्य प्रकाशन जैसे कि मनोज कॉमिक्स, तुलसी कॉमिक्स, डायमंड कॉमिक्स इत्यादि का नाम चलता है। इन सब बड़े नामों के बीच में छोटे प्रकाशक कहीं दब से जाते हैं। हालांकि बुल्स आई और स्वयंभू कॉमिक्स ने अपनी unique publicity campaigns के माध्यम से अपनी पहचान बनाने में काफी हद तक सफलता पाई है, लेकिन उसके बाद भी कुछ ऐसे प्रकाशन है जो अच्छा काम करने के बावजूद Limelight मैं नहीं आ पा रहे हैं और उनमें से एक नाम है फिक्शन कॉमिक्स का।
मेरी कोशिश है कि इस समीक्षा के माध्यम से फिक्शन कॉमिक्स पर भी कुछ प्रकाश डाला जाए, और आज उसी मुहिम के अंतर्गत मैं करने जा रहा हूं कॉप सीरीज के दो कॉमिक्स हत्यारे मुर्दे और डॉक्टर डेमन का dissection।
Credits
- Writer – Ashutosh Singh Rajput
- Concept and Color effect – Basant Panda
- Art – Sushant Panda, Vikas Satpathy
- Flat color and Calligraphy – Harish Das
- Editor – Sushant Panda
Plot
दो भाग की श्रृंखला में कहानी है एक ऐसे किरदार की जो पुलिस की वर्दी तो पहनता है मगर कानून तोड़कर कानून की हिफाजत करता है। क्या होता है जब उसका सामना एक ऐसे पागल वैज्ञानिक से होता है जिसने मुर्दों की सेना बनाने की तकनीक इजाद कर ली है।
Art
कॉमिक्स के आर्ट की अगर बात करें तो आर्ट में काफी variations दिखते हैं। दोनों कॉमिक्स के कवर आर्ट में बैकग्राउंड में सेम दृश्य का प्रयोग किया गया है, जो अटपटा सा लगता है। कॉमिक्स में कुछ चित्र बेहद सुंदर बने हैं खासकर वह चित्र जो कहानी की मुख्य हीरोइन सोनम की खूबसूरती को दिखाने के लिए बनाए गए हैं। चित्रकार ने उन चित्रों में गजब मेहनत करी है। वही छोटे फ्रेम्स में चित्र हड़बड़ी में बनाए गए लगते हैं। फिर भी as a whole the art is good.
Story
जहां तक बात होती है कहानी की तो कॉप नाम के इस सुपर हीरो की यह पहली कॉमिक्स है। इस कहानी में उसके अतीत के कुछ पन्नों को दिखाया गया है, लेकिन कहानी अधिकतर इस अंक के conflict पर ही फोकस करती है। इस कॉमिक्स में कॉप सीरीज के कई अन्य किरदारों से हमारा परिचय कराया गया है। लेकिन इन सबके बीच भी कहानी मुख्य मुद्दे से भटकती नहीं है।
यहां इस बात का जिक्र जरूर करूंगा कि सुपर हीरो कॉप का लुक थोड़ा बहुत इंस्पेक्टर स्टील और इंस्पेक्टर विनय का मिश्रण लगता है, वही उसके काम करने का ढंग डोगा से inspired है।
इन समानताओं के बावजूद, इस सुपर हीरो का किरदार अच्छा बन पड़ा है।
कहानी का मुख्य विलेन कुछ खास नहीं बना है और इस कहानी का सबसे कमजोर बिंदु है। कहानी के क्लाइमेक्स में होने वाली लड़ाई रोमांचक बनाई जा सकती थी।
कहानी में कुछ हास्य का इनपुट भी है जैसे कि मुख्य विलेन एक पार्टी में घुसकर डायलॉग मारता है वह किसी की जान नहीं लेगा और सिर्फ अपना काम करके निकल जाएगा। लेकिन जैसे ही उसका चेला उसे याद दिलाता है कि वह मास्क पहनना भूल गया है, विलन खुद को facepalm करते हुए ऐलान कर देता है की सब को मार दिया जाए।
लेखन में ऐसे छोटे-मोटे इनपुट किसी किरदार को uni-dimensional होने से रोकते हैं।
Final Verdict
अगर आप भारतीय कॉमिक्स में कुछ नए किरदारों को पढ़ना और समझना चाह रहे हैं तो फिक्शन कॉमिक्स का यूनिवर्स एक अच्छी और मनोरंजक जगह साबित हो सकता है।
A word for publishers
इस प्रकाशक की सिर्फ एक बड़ी कमी पर मैं प्रकाश डालना चाहूंगा की अगर कोई इन की वेबसाइट पर पहली बार जाए तो उसे यह समझ नहीं आएगा कि किस किरदार की कौन सी कॉमिक्स उसे लेनी है। और दूसरी बात यह कि इनकी प्रचार करने की रणनीति लगभग नदारद है।
कॉमिक्स रोचक लग रही है। फिक्शन की नेक्टर सीरीज का पहला कॉमिक्स गर्व पढ़ा जो कि पसंद आया था। कुछ और भी मँगवाई है। जल्द ही इसे पढ़ने की कोशिश भी रहेगी।