मेरी हमेशा से शिकायत की थी कि डायमंड कॉमिक्स ने कभी प्राण साहब के किरदारों के अतिरिक्त कुछ नया करने की कोशिश नहीं करी। अग्निपुत्र अभय शायद डायमंड कॉमिक्स की तरफ से किए गए आखरी प्रयोग थे, जोकि कहीं ना कहीं खराब पटकथा और उपेक्षा का शिकार हुए। डायमंड कॉमिक्स के पास चाचा चौधरी, बिल्लू और पिंकी के रूप में एक सदैव कमाई करने का पुख्ता जरिया मौजूद है, और इसलिए डायमंड कॉमिक्स ने कभी कुछ नया करने की मेहनत नहीं करी। इसीलिए with time डायमंड कॉमिक्स, परिपक्व होते कॉमिक्स पाठकों के लिए बोरिंग होती चली गई। मैंने भी डायमंड कॉमिक्स पढ़ना काफी लंबे समय पहले ही बंद कर दिया था।
ऐसे में एक दिन डायमंड कॉमिक्स के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट देखी गई, जिसमें डायमंड कॉमिक्स की तरफ से इस बात का बड़े गर्व के साथ ऐलान किया गया था, कि 2 साल तक लगातार मेहनत करने के बाद 30 लोगों की एक टीम ने एक नई कॉमिक्स का सृजन किया है, बल्कि एक नए सुपर हीरो सरीखे किरदार का सृजन किया है जो कि, 2021 की दिवाली में भारतीय कॉमिक्स इतिहास में एक नया तूफान सा ला देगा। और उनकी इसी बात से उत्साहित होते हुए मैंने मंगवा ली डायमंड कॉमिक्स की नवीन रचना दिवाली देव।
अब इस कॉमिक्स का dissection करने से पहले मैं डायमंड कॉमिक्स की उस पोस्ट का जवाब देना चाहता हूं इस मीम के माध्यम से।
अब समीक्षा की बात करते हैं। प्रथम तो डायमंड कॉमिक्स की यह policy मुझे कभी समझ नहीं आई की वह कभी भी कॉमिक्स में चित्रांकन करने वाले कलाकारों का नाम तक नहीं प्रस्तुत करते हैं। यह अपने आप में उन कलाकारों की कला का अपमान है। हालांकि दिवाली देव कॉमिक्स में किया गया चित्रांकन बेहद ही निम्न स्तर का है। ऐसी आर्ट तो हम ताऊ जी और फौलादी सिंह की कॉमिक्स में देखते आ रहे हैं।
अब रही बात इस कॉमिक्स की कहानी की। तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि इस कहानी की परिकल्पना दुनिया भर के सभी मादक पदार्थों को mix करके बनाए गए cocktail का सेवन करने के बाद की गई है। जब कहानी शुरू होती है तो वह जंगलों में पले बढ़े एक बालक की कहानी लगती है, फिर उस कहानी में परिया आ जाती है, मछली मानव आ जाते हैं, राजा महाराजा आ जाते हैं, राक्षस आ जाते हैं, एलियन आ जाते हैं, स्वयंवर आ जाता है, समुद्री यात्रा और समुद्री दैत्य आ जाते हैं और ना जाने क्या-क्या आ जाता है, बस कहानी का अता पता नहीं चलता है। कॉमिक्स की लेखिका गेरामिन नेदुवेलिल का कहना है कि वह इस कहानी के माध्यम से भारतीय दर्शकों के लिए एक सैंटा क्लॉस बनाना चाहती थी, लेकिन वह क्या बना बैठी, यह तो मुझे क्या खुद उनको भी कॉमिक्स पढ़ने के बाद समझ नहीं आया होगा।
जो रही सही कसर थी, वह कॉमिक्स के संपादक गुलशन राय जी ने कर दी। कॉमिक्स में इतनी गलतियां है, इतनी गलतियां है कि यह clearly पता चलता है कि, संपादक भी इस कहानी को पढ़ते-पढ़ते इतनी गहरी नींद में सो गए कि संपादन करना ही भूल गए।
मुझे लगता था कि फिर आया बांकेलाल से घटिया कॉमिक्स इस वर्ष शायद ही कोई आई होगी लेकिन डायमंड कॉमिक्स ने इतनी बेहतरीन कॉमिक्स प्रस्तुत करी है, कि मैं पहली बार किसी कॉमिक्स को यह score देने पर मजबूर हो रहा हूं। साथ में मैं मोदी जी से यह आग्रह भी करूंगा, कि इस कॉमिक्स की रचना करने वाले उन 30 लोगों के ऊपर रासुका लगाने की कृपा करें।
My verdict – (-5/10)
*Yes that is minus 5