दिव्य कवच श्रृंखला का पहला भाग हर मामले में निराशाजनक था। चाहे वह कॉमिक्स में कहानी का लगभग ना हो ना हो या फिर विवेक गोयल का आलस्य से भरा चित्रांकन। इसी वजह से मुझे इसके दूसरे भाग से कोई खास उम्मीद नहीं थी। तो क्या मैं सही था या गलत आइए जानते हैं।
Credits
- Concept and Editor – Himanshu Singhal
- Writer – Anirudh Singh
- Art – Puneet Shukla
- Coloring – Naval Thanawala
Art
दिव्य कवच के दूसरे भाग में चित्रांकन पुनीत शुक्ला का है और निसंदेह हिमांशु सिंघल का यह सबसे सही निर्णय था। जहां विवेक गोयल के चित्रांकन ने कॉमिक्स को एक eye sore बना दिया था वही पुनीत शुक्ला का आर्टवर्क नवल थानावाला कि कलरिंग के साथ मिलकर एक प्रीमियम फील देता है। पहले भाग की तरह चित्र जरूरत से ज्यादा अंधकारमय नहीं है। किरदारों का लुक कई गुना बेहतर है और speedy motion वाले फ्रेम मे कलर इफेक्ट बेहद खूबसूरती से नजर आते हैं। निसंदेह पहले भाग में जो कमियां थी उन पर मिले फीडबैक को रेडियंट कॉमिक्स की टीम ने गंभीरता से लिया और इसी वजह से इस बार आर्टवर्क बेहद लाजवाब बना है।
Story
जहां तक इस कॉमिक्स कहानी की बात है तो यहां पर भी काफी बड़ा सुधार देखने को मिला है। जहां पहला भाग आधे अधूरे पात्र परिचय तक ही सीमित रह गया था वही इस भाग में हमें एक कहानी रूप लेती हुई दिखती है। इस कहानी में किरदारों के अपने व्यक्तित्व भी निखर कर आते हैं। कहानी में twist भी है और बहुत subtle humour भी दिखता है। कहानी की गति बहुत fast paced है, और शुरू से अंत तक बांध कर रखती है। हालांकि यक्ष पुत्रों वाला प्रसंग बहुत जल्दी में शुरू होकर खत्म हो जाता है जिसकी वजह से यक्ष बहुत कमजोर नजर आते हैं। कहानी का अंत kindergarten cop फिल्म की फील देता है जिसकी वजह से आने वाले भाग की कहानी को लेकर एक predictability का संशय उत्पन्न होता है।
Final Verdict
दिव्य कवच 2 निसंकोच अपने पहले भाग से कई गुना बेहतर है। स्पष्ट है की रेडियंट कॉमिक्स की टीम ने पहले भाग की गलतियों से सबक लिया है और इसी वजह से इस बार हमें एक बेहतर प्रोडक्ट मिला है।
अंततः मैं इस बात का भी उल्लेख करना चाहूंगा की कॉमिक्स की क्वालिटी में भी बेहतरीन सुधार हुआ है।