A controversial night
12 मई 2022 की रात भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री की शायद सबसे विवादास्पद रातों में से एक कहीं जाए। कुछ लोग कहेंगे कि यह वही रात है जहां एक विवाद का एक सुखद अंत हुआ।
अगर पाठक के नजरिए से देखें तो वाकई अंत काफी सुखद है क्योंकि जो कॉमिक्स श्रृंखलाएं लंबे समय से अटकी हुई थी। जिनके बारे में बात करने पर तीनो गुप्ता भाई या तो चुप्पी साध लेते थे, या भारतीय नेताओं की तरह वादे चिपका कर पतली गली पकड़ कर निकल लेते थे। आखिर सालों से चल रहे लंबे इंतजार और कानूनी जद्दोजहद की अफवाहों के बीच, उन श्रृंखलाओं के समापन की रूपरेखा तैयार हो गई।
प्रकोष्ठ के कैदी, बोदी वाला थानेदार, स्वामी भक्त रखवाले और पुनरुत्थान जैसी लंबे समय से लंबित कॉमिक्स आखिरकार बाजार में आने ही वाली है। साथ ही साथ यह घोषणा भी हो गई है कि राज कॉमिक्स की सबसे ज्यादा चर्चित सर्वनायक श्रृंखला का भी अब समापन होगा।
How it happened
इस विवादास्पद रात की शुरुआत हुई राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता द्वारा बोदीवाला थानेदार, कुत्तापंती, और पुनरुत्थान कॉमिक्स के प्रकाशन की घोषणा के साथ। इस घोषणा के कुछ समय बाद ही छोटे भाई मनीष गुप्ता ने यह ऐलान कर दिया कि अब क्योंकि मंझलें भाई ने आप ही समझो तो के लिए चल रही बातचीत को दरकिनार करते हुए इन कॉमिक्स के प्रकाशन का निर्णय लिया है, तो अब वह भी स्वतंत्र हैं कम दामों में इन कॉमिक्स को प्रकाशित करने के लिए।
कॉमिक्स फैन ग्रुप्स में कयास लगाए जाने लगे की अब बड़े भाई क्या करेंगे। खैर इन कयासों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं रही और बड़े भाई संजय गुप्ता ने भी कर दिया ना केवल इन कॉमिक्स के प्रकाशन का ऐलान, बल्कि प्रकोष्ठ के कैदी के रूप में सर्वनायक विस्तार श्रृंखला की समाप्ति की भी घोषणा कर दी।
My 2 cents/
खैर मुझे यकीन है कि अधिकतर लोग इन जानकारियों से भलीभांति परिचित है। इस पोस्ट का उद्देश्य समाचार देना नहीं बल्कि इस विवाद पर अपनी दो टूक राय देना है।
सवाल यह है कि इन कॉमिक्स को खरीदा किससे जाए। कुछ लोग कहेंगे कि मनोज गुप्ता जी ने सबसे पहले प्रकाशन की घोषणा करी इसलिए उन्हीं से लेना चाहिए। काफी लोग यह भी कहेंगे कि जो सबसे सस्ता देगा, हम उसी से लेंगे। लेकिन मेरी राय इन सबसे इतर है।
कॉमिक्स कोई ऐसा उत्पाद नहीं है जिसे किराने की दुकान पर या बिग बाजार में बेचा जाए। यह कोई ऐसा उत्पाद नहीं है जिसे शुरू से लेकर अंत तक एक फैक्ट्री में बनाया जा सके। कॉमिक्स एक कला है।
किसी भी कॉमिक्स की उत्पत्ति होती है एक विचार से, जिसे अंग्रेजी भाषा में concept कहा जाएगा। उस विचार को एक पूरी कहानी में परिवर्तित करने का जिम्मा होता है लेखक के ऊपर। उस कहानी को चित्रों में उतारने की जिम्मेदारी निभाता है एक चित्रकार। उन चित्रों पर इकिंग और कलरिंग करने का काम भी एक art है। उसके बाद उन चित्रों में कहानी को समाहित करने का काम होता है calligrapher का। देखा जाए तो कॉमिक्स कई कलाओं का एक मिश्रण है। और इसलिए उस कला को बेचने का अधिकार या उस कला से मुनाफा कमाने का अधिकार सर्वप्रथम उस व्यक्ति को होगा या उस टोली को होगा जिसने उसकी रचना की हो।
जो लोग किसी भी कलाक्षेत्र से जुड़े होंगे वह मेरी बात को अवश्य समझेंगे। उदाहरण के लिए अगर आप एक गीतकार है और आपके लिखे गीत को कोई और व्यक्ति अपने नाम से बेच देता है तो आप को कैसा महसूस होगा? यह तो वही बात हो गई कि सृष्टि की रचना तो ब्रह्मा ने करी, लेकिन उस पर इंद्रदेव ने अपनी मोहर लगाकर उसे अपना बताना शुरू कर दिया।
To creators goes the spoils of war
राज कॉमिक्स के इतिहास से वाक्य हर व्यक्ति जानता है की राज कॉमिक्स में रचनात्मक दृष्टि केवल संजय गुप्ता जी के पास थी। जिन कहानियों के संसार का हम आनंद लेते हैं, उसकी रचना करने में उनका एक अहम योगदान रहा है। जिस पुनरुत्थान और सर्वनायक श्रृंखला को लेकर यह पूरा विवाद चल रहा है उसके लेखक नितिन मिश्रा जी आज भी राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता से जुड़े हुए हैं।
सर्वनायक विस्तार के लेखक अनुराग कुमार सिंह भी संजय गुप्ता जी के साथ हैं। इन सभी कॉमिक्स का चित्रांकन करने वाले हेमंत जी संजय गुप्ता जी के साथ हैं। सुशांत पंडा, बसंत पंडा और मंदार गंगेले भी राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता की टीम में है।
यह सारी कॉमिक्स इन रचनाकारों के बिना पूरी नहीं हो सकती थी। इसलिए धर्म नीति यही कहती है कि
है सृजन जिसका, और जिसने रचा संसार है,
व्यापार करने का बस वही हकदार है.
बाकी, लोकतंत्र है। सब अपना निर्णय लेने के लिए स्वच्छंद है। स्वयं एक लेखक होने के नाते मैं रचनाकारों का ही पक्ष लूंगा, और साथ में संजय जी से आग्रह भी करूंगा कि थोड़े दाम कम कर ले।
Well said bhai…. bahut badhiya likha aapne 👌👌