अति दर्पे हता लंका अति मानेश्च कौरवाः !
अति दाने बलिः बध अति सर्वत्र गर्हितम् !
Hello Comic Nerds
डोगा राज कॉमिक्स का सबसे Realistic किरदार है। अगर राज कॉमिक्स के सभी सुपर हीरोस की समीक्षा की जाए तो मात्र डोगा ही एक ऐसा किरदार नजर आता है, जिस की कहानियां पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह मौजूदा परिपेक्ष में संभव है। यही realism डोगा की कहानियों को रोमांचक बनाता है। शायद यही वजह है जिस कारण डोगा का पहला विशेषांक खतरनाक पाठकों के गले के नीचे नहीं उतरा था। इस वजह से राज कॉमिक्स ने डोगा की कहानियों में यथार्थ को बनाए रखना उचित समझा।
Let’s dissect the dying
खतरनाक के बाद डोगा के एक से बढ़कर एक बेहतरीन कॉमिक्स आए। हालांकि डोगा की कहानियों में मेलोड्रामा अभी भी कूट-कूट के भरा जा रहा था लेकिन यही मेलोड्रामा डोगा की कहानियों को और भावनात्मक रूप से पाठकों से जोड़ता था। इसी प्रकार की एक मेलोड्रामा से भरपूर कहानी बॉम्बे डाइंग का आज हम करेंगे Dissection.
Credit Roll
Story – Tarun Kumar Wahi
Penciling – Suresh Deegwaal
Inking – Naresh Kumar, Vinod Kumar
Plot
बॉम्बे डाइंग की मूल कथा एक ऐसे बुजुर्ग के बारे में है जो अपने दामाद को ढूंढने अयोध्या से मुंबई आता है। उसके साथ उसकी बेटी और छोटी बच्ची भी है। बेटी के अलावा किसी ने भी दामाद का चेहरा नहीं देखा है। अपराध से भरी हुई मुंबई में यह परिवार कैसे अपने मिशन में कामयाब होता है और डोगा इस कहानी में उनका कैसा साथ देता है इसी की कथा है बॉम्बे डाइंग।
Story
जैसा कि मैंने शुरू में कहा की कहानी मेलोड्रामा से भरपूर है। एक गरीब परिवार जो परदेसी शहर में दर-दर भटक रहा है, जिसे अपराधी से लेकर पुलिस तक सभी प्रताड़ित करते हैं, और जिन की रक्षा के लिए हमेशा सही वक्त पर सही जगह पर डोगा पहुंच जाता है। इस कहानी में मुख्य विलेन का नाम है पैंथर जो कि WWE के मशहूर wrestler Kane की तरह कपड़े और मास्क पहनकर रहता है। कहानी की शुरुआत में ही डोगा पैंथर को बुरी तरह से पीटता है जिसकी वजह से पैंथर कसम खाता है कि वह अपने को इतना मजबूत करेगा कि उसकी चीख ना निकल सके।
कहानी पूरी तरह से फिल्मी है लेकिन मेलोड्रामा भरने की कोशिश में लेखक ने अति कर दी है।
और जैसा कि हमारी संस्कृति में कहा जाता है अति सर्वत्र वर्जयेत्, जब यह मेलोड्रामा अत्यधिक हो जाए तो कहानी का स्तर भी गिर जाता है।
Art
कहानी का चित्रांकन उस दौर का है जब डोगा की कॉमिक्स चित्रण करें शायद अपने न्यूनतम स्तर पर था। मुझे सुरेश डीग्वाल जी की पेंसिलिंग मे हमेशा फ्रेम के पीछे की शेडिंग अखरती रही है। जैसा कि पिछले पैराग्राफ में लिखा है अति सर्वत्र वर्जयेत्।
Why I don’t like Bombay Dying
मैंने सुना है कि काफी पाठकों ने बॉम्बे डाइंग को सबसे अच्छी कॉमिक्स में से एक बताया है। ना जाने उन्हें इस कहानी में ऐसा क्या दिखा लेकिन मुझे इस कहानी में सिर्फ कमियां ही दिखाई देती हैं।
- सबसे पहली बात जो अटपटी लगी वह यह की डोगा ने पैंथर को मारा क्यों नहीं और केवल अधमरा करके क्यों छोड़ दिया जबकि पहले ही पृष्ठ पर पैंथर के गुंडों ने एक आदमी को लगभग मरणासन्न कर दिया था।
- दूसरी बात जो मुझे हास्यास्पद लगी वह थी पैंथर का जहरीले बिच्छू से डंक लगवाना और बिना दवा के जिंदा रह जाना
- तीसरा Hyper मेलोड्रामा पैंथर का बिच्छू के डंक के बाद इतना शक्तिशाली हो जाना कि एक मुक्के में किसी व्यक्ति का सर फोड़ देना।
- लेकिन सबसे ज्यादा Illogical जो बात मुझे लगी, वह यह थी कि पैंथर (राम अवतार) ने शीतल से चुपके से शादी करी, लेकिन वह अपने ससुर तक को नहीं पहचानता था। Practically this is not possible क्योंकि गांव देहात में लोग एक दूसरे को इतनी अच्छी तरह से जानते हैं, कि यह संभव ही नहीं कि एक आदमी एक लड़की से विवाह करें, और उसने उसके परिवार वालों को देखा तक ना हो। पैंथर का अपने परिवार को ना पहचानने का Explanation बेहद बचकाना सा लगता है।
Final Verdict (I Judge you haveli walo)
अगर इस कॉमिक्स में कुछ अच्छा है तो वह है कॉमिक्स का कवर। उसके अतिरिक्त यह बहुत ही औसत कहानी है और मेरी नजर में डोगा की सबसे कमजोर में से एक कहीं जाएगी।
बहुत बढ़िया review
कहानी की विषय वस्तु तो अच्छी लग रही है लेकिन लगता है इसका एक्सिक्यूशन आपको पसंद नहीं आया। एक बार पढ़कर देखना तो बनता है इसे। मौका लगा तो पढ़कर देखा जाएगा।