आपने एक रबड़ बैंड देखा होगा। उसे खींचा भी होगा। क्या होता है जब आप उसे जरूरत से ज्यादा खींचते हैं? टूट जाता है ना। मगर टूट क्यों जाता है? क्योंकि जरूरत से ज्यादा खींचने पर वह कमजोर पड़ने लगता है और आज मैं एक ऐसी ही कहानी का dissection करने जा रहा हूं जिसे जरूरत से ज्यादा खींचा गया है। इस कहानी का शीर्षक है भूल गया राजा।
Credits
- Writer – Tarun Kumar Wahi/Anurag Singh
- Art – Sushant Panda
- Inker – Deepak
- Coloring – Santosh Kushwaha
- Lettering – Gangele brothers
- Editor – Sanjay Gupta
Plot
कहानी का प्लॉट बहुत बेसिक है। बांकेलाल ने एक बार फिर राजा विक्रम सिंह को अपने रास्ते से हटाने के लिए एक षड्यंत्र बना है लेकिन उस षड्यंत्र की वजह से विक्रम सिंह को केवल याददाश्त की हानि होती है। समीकरण कुछ ऐसे बनते हैं की बांकेलाल मजबूर हो जाता है राजा विक्रम सिंह की याददाश्त वापस लाने के लिए। लेकिन वह बांकेलाल भी क्या जो आपदा में अवसर ना ढूंढे। बस इसी की कहानी है भूल गया राजा।
Art
यह सच बात है कि बांकेलाल के चित्रांकन की पहचान बेदी जी से ही होती है मगर समय का पहिया कभी रुकता नहीं है। और इस समय में सुशांत पंडा ने बांकेलाल के संसार को अपने चित्रों से जिस बखूबी से संवारा है वह काबिले तारीफ है। इस कॉमिक्स का आर्टवर्क खा सा अच्छा है और कलरिंग से यह कॉमिक्स और भी ज्यादा निखर कर आती है। लेकिन ना जाने क्यों कवर पृष्ठ कुछ खास नहीं बना है।
Story
इस कॉमिक्स की कहानी पढ़ने के बाद मन में मात्र एक विचार आया कि जिस प्रकार इस कॉमिक्स का शीर्षक है काश उसी प्रकार इस कॉमिक्स के प्रकाशक की भी याददाश्त चली जाती और वह इसे छाप ना भूल जाते तो अच्छा होता। कहानी का प्लॉट तो ठीक-ठाक है लेकिन कहानी की लंबाई इसे बेहद नीरस और उबाऊ बनाती है।
बाकेंलाल की कहानियां छोटी सी अच्छी लगती है। कम से कम पन्नों में अधिक से अधिक व्यंग्य को परोसना ही बांकेलाल की कहानियों को मजेदार बनाता आया है। लेकिन भूल गया राजा की कहानी जरूरत से ज्यादा लंबी लगती है। कहानी के शुरू में कुछ अच्छे सीक्वेंस है मगर विक्रम सिंह की याददाश्त जाते ही कहानी ढीली पढ़ना शुरू हो जाती है। उसके बाद सात राक्षसों के आगमन से कहानी बिल्कुल बेपटरी ट्रेन की तरह भागती है और अत्यधिक नीरस एवं उबाऊ बन जाती है। चुटकुले ऐसे जिन्हें पढ़कर हंसी बिल्कुल भी नहीं आएगी। चुटकुले ऐसे जिन्हें पढ़कर कोई आश्चर्य भी नहीं होगा। कहानी इतनी ज्यादा predictable हो जाती है कि पढ़ते-पढ़ते पाठक को नींद भी आ सकती है।
Final Verdict
राज कॉमिक्स में बंटवारे के पश्चात बांकेलाल की कहानियां लगातार निराश कर रही हैं। खास करके तरुण कुमार वाही जी द्वारा लिखी गई कहानियां बेहद कमजोर साबित हुई है। शायद वक्त आ गया है की राज कॉमिक्स बांकेलाल की कहानियां लिखने का जिम्मा किसी नए लेखक को दे जो कि इस किरदार में और इसके संसार में एक नई जान फूंक सकें।