नागायण राज कॉमिक्स के इतिहास में पूरी होने वाली सबसे बड़ी महागाथा थी। मगर शायद इसकी पूर्णता राज कॉमिक्स की टीम को अखर रही थी। इसलिए उन्होंने सर्वनायक की तरह इसे और विस्तारित करने का निर्णय लेते हुए महानागायण की रचना करने का निर्णय लिया।
मगर किन्ही कारणों से यह श्रृंखला शुरू होने से पहले ही अधर में लटक गई। किंतु यह इस संसार का नियम है कि जिसकी रचना होगी उसका अंत भी अवश्य होगा। और इस नियम का पालन करते हुए हमें सन 2022 में महानगर के पहले भाग अवतरण पर्व को पढ़ने का सौभाग्य मिला। तो चलिए जानते हैं कैसी बनी है यह कॉमिक्स।
Credits
- Writer and artist – Anupam Sinha ji
- Inking – Vinod Kumar/Prem Gunawat/Amit Kumar
- Coloring – Pravin Singh/Sanjay Sultaniya/Mohan Prabhu
- Calligraphy – Nitish Sharma
- Editor – Manoj Gupta
Art
इस कॉमिक्स का आर्टवर्क अनुपम सिन्हा जी के स्तर से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है। ख़राब इकिंग और औसत कलरिंग की वजह से चित्र काफी धुंधले और दबे हुए लगते हैं। कुछ जगह चित्रों ने भी काफी निराश किया है जैसे कि पृष्ठ संख्या 69 पर एक फ्रेम में विशांक और विसर्पी बौने नजर आते हैं। एक्शन चित्रों में कई जगह किरदारों की anatomy अटपटी सी बनी है। सच कहा जाए तो एक महागाथा में इस प्रकार का कार्य थोड़ा दुखी करता है।
Story
अवतरण पर्व की कहानी काफी तेज है और कहीं पर भी धीमी नहीं पड़ती है। यह इस कॉमिक्स की अच्छाई भी है और साथ ही साथ बुराई भी। उदाहरण के लिए कॉमिक्स की शुरुआत में जिस प्रकार से एक के बाद एक अलग अलग प्रसंग आते हैं, वह पाठक को कंफ्यूज कर सकते हैं। हालांकि अंत तक पहुंचते-पहुंचते कहानी काफी हद तक एक रूपरेखा लेने लगती है, और शुरुआत में जो प्रसंग बिखरे हुए अव्यवस्थित से नजर आ रहे थे, वह सब कड़ियों की तरह जुड़ने लगते हैं।
कथानक में एडिटिंग की कमी साफ देखी जा सकती है। कई जगह व्याकरण की छोटी मोटी गलतियां मौजूद है। यह कहानी पढ़ने के overall experience को धूमिल करता है। कहानी में एक समस्या यह भी है की अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कई बार अटपटी जगह पर किया गया है। जैसे कि नागपाशा और गुरुदेव बेहद शुद्ध एवं कठिन हिंदी में वार्तालाप करते हैं, किंतु बीच-बीच में अंग्रेजी शब्द बोल जाते हैं जो उनकी भाषा शैली से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है।
Final Verdict
महानागायण एक महागाथा है और इस कहानी का पहला भाग वाकई में अच्छा है लेकिन जैसा कि एक महागाथा से उम्मीद होती है कि उसमें stakes बहुत high होंगे, इसके पहले भाग में अभी वैसी feeling नहीं आ रही है।
As stand alone story it is good but there is nothing महा about this नागायण… yet.