सन 1980 और 1990 का जमाना अगर नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, तोसी इत्यादि सुपर हीरो के जन्म के लिए जाना जाएगा तो साथ ही यह जाना जाएगा भूत प्रेत कहानियों के नाम पर प्रकाशित होने वाली औसत कहानियों के लिए। अधकटा फिक्शन कॉमिक्स की तरफ से प्रकाशित ऐसी ही एक कॉमिक्स है जो 80-90 के दशक की याद दिलाती है। तो चलिए इस अधकटा को पूरा काट कर करते हैं इसका dissection.
Credits
- Writer – Harendra Tyagi
- Art direction – Sushant Panda
- Art – Sumat Paul
- Coloring – Mili, Kajal
- Color effects – Basant Panda
- Calligraphy – Harishdas Manikpuri
- Editor – Panda bros.
Art
1980-90 के दशक में भी जो हॉरर कॉमिक्स राज, मनोज और तुलसी जैसे प्रकाशकों ने प्रकाशित की थी, उसके सामने इस कॉमिक्स का आर्टवर्क कहीं नहीं ठहरता है। आर्ट वर्क काफी साधारण है लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फिक्शन कॉमिक्स लगातार नए चित्रकारों को मौका दे रही है। इनकी कला को परिपक्व होने में समय लगेगा। इस पहलू को अगर ध्यान में रखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा की सुमत पॉल की तरफ से हमें भविष्य में और बेहतरीन काम देखने को मिल सकता है।
Story
अगर इस कॉमिक्स की कहानी की बात करें तो इसकी कहानी मे कोई नयापन नहीं है। जमीन जायदाद के लिए परिवार में होने वाली साजिश और उस साजिश के कारण होने वाली हत्याओं की कहानी हम कई बार पढ़ और सुन चुके हैं। इसके अलावा कहानी की स्क्रिप्ट अधकटा को लेकर किसी प्रकार का सस्पेंस बुनने में सफल नहीं रहती है। इस वजह से यह हॉरर कहानी ना डराती है और ना ही खास मनोरंजन कर पाती हैं। हालांकि कहानी के अंत में लेखक ने एक ट्विस्ट डाला है मगर वह भी कुछ खास नहीं बना है।
Final Verdict
जहां एक और फिक्शन कॉमिक्स अमावस जैसी श्रृंखला प्रस्तुत कर रही हैं वही अधकटा जैसी साधारण कॉमिक्स का प्रकाशन थोड़ा अचंभित करता है। आज के जमाने में जब कॉमिक्स पाठकों की मांस जोरदार कहानियों की है, ऐसे में अधकटा जैसी कॉमिक्स पुराने समय में फंसी हुई एक कहानी जैसी लगती है।