कॉमिक्स का संसार बेहद विचित्र संसार है। यहां पाठक को क्या पसंद आ जाए, और क्या बिल्कुल भी पसंद ना आए, यह कई बार लेखक, चित्रकार और एवं प्रकाशक को भी गफलत में डाल सकता है। कई दफा, कोई बहुत ही बेकार सी कॉमिक्स सुपर हिट हो सकती है, तो वहीं इसके ठीक विपरीत, कई बार कोई बहुत ही अच्छी कॉमिक्स सुपर फ्लॉप भी।
खास करके जब हम बात करें सन 1990 के दौर में प्रकाशित हुई कॉमिक्सो की। कुछ ऐसा Nostlagia Factor जुड़ा हुआ है इन पुरानी कॉमिक्स के साथ कि आज वही पाठक, जो उस दौर में छोटे-छोटे बच्चे हुआ करते थे, इन महारथी कॉमिक्स के रिप्रिंट भी हाथों हाथ खरीदने के लिए बेताब मिलेंगे। अब तौसी और जम्बू की कॉमिक्स से बढ़कर शायद ही कोई उदाहरण मैं दे सकता हूं जो मेरे इस analysis को सही साबित करता हो।
ऐसी ही एक कॉमिक्स जिस तक मुख्य किरदार, किन्ही अनजान mysterious कारणों की वजह से आज भी उस दौर के पाठकों में लोकप्रिय है, को पढ़ने का दुर्भाग्य मुझे प्राप्त हुआ। यह किरदार है नूतन कॉमिक से प्रकाशित होने वाला सुपर हीरो कम डिटेक्टिव कम ‘ना जाने क्या-क्या’, फैंटम की आधी पोशाक और सुपरमैन का लबादा ओढ़ के, अपने आड़े तिरछे तरीकों से सरल क्राइम को भी जलेबी की तरह घुमावदार हथकंडे अपनाकर सॉल्व करने वाला रहस्यमयी किरदार ‘भूतनाथ‘।
यकीन मानिए दोस्तों इस कॉमिक का dissection करते हुए मुझे यह प्रतीत हुआ कि मैं कॉमिक से कम, अपनी खुद की बुद्धि, अपने संयम और अपने अस्तित्व का dissection कर रहा हूं।
कॉमिक्स का कवर देखकर उत्सुकता काफी ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि कॉमिक्स के कवर पर हमारे गरीब फैंटम महोदय हाथ में तलवार और ढाल, जो कि ढाल कम छतरी ज्यादा लग रही थी, लेकर कुछ हथियारबंद जंगली आदिवासियों से जंग लड़ रहे थे। ऐसा प्रतीत हुआ यह कॉमिक्स एक्शन से भरपूर होगी लेकिन कुछ पृष्ठ पलटने के बाद मुझे एहसास हो गया कि यह एक ऐसी दलदल है जिसमें से निकलना शायद अब मेरे लिए मुमकिन नहीं होगा।
वैसे तो मेरे review spoiler free होते हैं लेकिन इस कॉमिक्स में मैं आपको कुछ सीक्वेंसेस के बारे में बताने से खुद को रोक नहीं पाऊंगा क्योंकि मैं नहीं चाहता कि आप भी मेरी तरह टॉर्चर का सामना करें।
कॉमिक्स के एक दृश्य में हमारे भूतनाथ महोदय, जो ना जाने क्यों हर वक्त मास्क लगाकर रखते हैं, वह एक स्मैक की तस्करी करने वाले ड्राइवर से पूछताछ करते हुए उससे यह उलाहना देते हैं कि गौर फरमाओ कि कहीं तुम्हारा बेटा भी इसे स्मैक के नशे का शिकार न बन जाए। उनके ऐसा करते ही ड्राइवर को एकदम से याद आता है कि उसका लड़का तो स्मैक बेचने वाले गिरोह के कब्जे में है जबकि उससे पहले के दृश्यों में उस ड्राइवर की बातों से ऐसा कुछ भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह मजबूरी में यह कार्य कर रहा है।
अब जब ड्राइवर ने गवाही दे दी कि इस धंधे के पीछे एक मशहूर सेठ का हाथ है तो भी हमारे भूतनाथ भैया उस सेठ को पुलिस के साथ छापा मारकर पकड़ते नहीं है बल्कि उस सेठ के धंधे में शामिल हो जाते हैं और इस कदर शामिल हो जाते हैं कि वह खुद भी स्मैक की तस्करी करने लगते हैं इतना deep undercover तो Jake Peralta भी नहीं जाता भाई।
यह एपिसोड की कहानी यहीं खत्म हो जाती तो कोई बात होती, लेकिन नहीं, अभी तो भूतनाथ जी को नकली मर्डर और उसके बाद नकली फांसी का भी ढोंग रचना है, ताकि वह स्मैक तस्करों के सरगना सेठ की लड़की के शहर में जाकर, वहां पर एक पुलिस वाले का भेष धर के, सेठ की लड़की को सेठ के खिलाफ गवाह बनने और तहकीकात में मदद करने के लिए तैयार कर सकें। मजेदार बात यह है कि इंस्पेक्टर के किरदार में भी भूतनाथ महोदय अपना मास्क नहीं उतारते हैं।
लेकिन रुको जरा। सब्र करो। अभी कहानी बाकी है। लड़की को अपने पिता के खिलाफ तैयार करने के बाद भी भूतनाथ महोदय लड़की के साथ शादी का ढोंग रचा के सेठ के बंगले में घुसते हैं और सेठ उन्हें देखकर कहता है कि ‘तुम भूतनाथ हो, मैं जानता हूं कि तुम भूतनाथ हो’ और भूतनाथ महोदय उस समय भी वह मास्क लगाए हुए बड़े confidence के साथ कहते हैं एक ही शक्ल के दो व्यक्ति हो सकते हैं। अब इससे ज्यादा हास्यास्पद क्या हो सकता है भूतनाथ की यह बात सेठ को किसी प्रकार कन्वेंस कर ले जाती है कि यह मास्क लगा हुआ शख्स भूतनाथ नहीं बल्कि उसकी बेटी का पति है।
किसी प्रकार यह कहानी खत्म होती है और मैं यह सोचता रह गया के कवर पेज पर जिन जंगली यों को दिखाया गया है वह कहां है या फिर इस कॉमिक्स के शीर्षक के हिसाब से आदमखोर कौन है?
मैंने अपने जीवन में ‘फिर आया बाकेलाल’ जैसी अत्यंत वाहियात कॉमिक्स भी पढ़ी है लेकिन भूतनाथ ‘द कल्ट सुपर हीरो’ कि यह कॉमिक्स, लेखक ने क्या खाकर लिखी थी या चित्रकार ने क्या सोचकर इसका कवर पेज बनाया था यह रहस्य शायद बरमूडा ट्रायंगल और अन्य विश्व की महान mysteries में से एक में गिना जाएगा।
My verdict – 0/10 (could have given half marks for putting me to sleep)
रोचक…. क्या इस कॉमिक्स को कॉमिक्स में वह मुकाम हासिल हो सकता है जो हिंदी फिल्मों में गुंडे को हासिल है??
aaj raat bhootnath ko ek mauka aur dunga. thode horror naam waali comics dhoondh k padta hu
वैसे शायद आपको पता होगा कि भूतनाथ नाम का एक देवकीनंदन नाम का किरदार था जो कि काफी प्रसिद्ध था। वह पहले पहल चंद्रकांता में आया था और सर्वश्रेष्ठ अय्यारों में से एक समझा जाता था। उसे लेकर उन्होंने फिर एक उपन्यास भी लिखा था। उपन्यास का नाम भूतनाथ ही था।
अगले रिव्यू की प्रतीक्षा रहेगी।