पांडा बंधुओं त नाम लेते हैं अपने आप ही राज कॉमिक्स की तरफ ध्यान चला जाता है। ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि इन दोनों ने अपना नाम राज कॉमिक्स के जरिए ही किया है। और शायद यही वजह है कि बहुत सारे पाठक अभी तक इस तथ्य से वंचित हैं की पांडा बंधुओं ने अपनी खुद की comics publishing company install करी है। और पांडा बंधुओं ने बेहद सरल तरीके से अपने इस प्रकाशन का नाम रखा है fiction comics। शायद यह नाम रखने के पीछे यह कारण है की, दोनों भाई कॉमिक्स के नाम से ही पाठकों को यह संदेश दे देना चाहते हैं कि इस कॉमिक्स की सभी कथाएं एवं किरदार काल्पनिक है। आज के समय को ध्यान में रखते हुए जहां तब कौन पाठक कॉमिक्स के किस aspect को लेकर outrage mode में चला जाए, प्रकाशन का यह नाम बेहद अच्छा प्रतीत होता है।
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अमावस 1 एंड 2…एक कहानी, 2 किताब
फिक्शन कॉमिक्स की वेबसाइट को देखने के बाद, यह निर्णय लेना मुश्किल हो रहा था कि मैं कौन सी कॉमिक्स मंगाऊं। काफी सोच-विचार के बाद मैंने सुपर हीरो वाला box set मंगाने का decision लिया। उस बॉक्सेट की कॉमिक्स को देखने के बाद मुझे यह पता चला कि इनकी एक अमावस नाम की सीरीज भी है, जिसके प्रथम 2 भाग हॉरर कॉमिक्स में आते हैं, और अगले 3 भाग सुपर हीरो कॉमिक्स में गिने जाते हैं। लिहाजा मैंने अमावस के सारे भाग भी आर्डर करने का निर्णय लिया।
हालांकि अमावस सीरीज में अभी तक कुल 5 कॉमिक्स आई हैं लेकिन मैं इन पांचों का review एक साथ करने के बजाए इन्हें genre wise ही review करना पसंद करूंगा।
तो चलिए करते हैं अमावस सीरीज के पहले दो straight up horror कॉमिक्स का extremely dark dissection।
Story – K Govind Thanvi
Written by – Ashutosh Singh Rajput
Art – Vikas Satpathy
Colors – Amit Sharma
1. कथानक
अमावस की कहानी बेहद सरल है। एक हॉरर स्टोरी में होने वाले scary moments and twists and turns लगभग ना के बराबर है। Erotic scenes अच्छे बने हैं और जबरदस्ती डाले गए नहीं लगते हैं। मुख्य विलेन का खुलासा और उसकी हरकतों के पीछे की बैक स्टोरी believable लगती है।
अमावस रिटर्न्स पहली कॉमिक्स के फार्मूले को reuse करते हुए लिखी गई है। इसी वजह से दूसरा भाग काफी हद तक बोरिंग लगता है। अमावस के दोबारा लौटने का explanation पढ़ने में सही लगता है लेकिन कहानी को अगले भाग में ले जाने के लिए उसी फार्मूले को दोबारा इस्तेमाल किया जाता है जो कि दूसरे भाग को और कमजोर करता है।
2. चित्रांकन
कॉमिक्स का USP इसका चित्रांकन विशेषकर महिला किरदारों का चित्रांकन है। महिला किरदार अत्यंत खूबसूरत बने हैं किंतु इनके comparison में पुरुष किरदारों का चित्रांकन देखकर फुल लंगूर के हाथ में अंगूर वाली फीलिंग आती है।
कुल मिलाकर कॉमिक्स एक बार पढ़ी जा सकती है। प्रथम भाग के मुकाबले द्वितीय भाग बहुत फीका लगता है। पृष्ठ संख्या काफी कम है जिसकी वजह से कहानी शुरू होते ही खत्म हो जाती है।
My verdict – 5/10
अमावस – 6/10
अमावस रिटर्न्स – 4/10
Archit Srivastava
Dr Archit Srivastava aka Archwordsmith is a practicing doctor, writer and poet. He has penned over 300+ poems and stories over 26 years from a tender age of 10 years.
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Fiction Comics Mein Prakashit 'Comedy' & 'Superheroes' Genre Wali Kuch Comics Maine Padhin Hain Jo Mujhe Qafi Pasand Aayi 'Bhootal' Aur Superheroes Ki Ab Tak Prakashit Sabhi Comics Maine Apne Collection Mein Jod Rakhi Hain Aur Mujhe Specially 'Project Nector' Series Bahut Hi Zyada Pasand Hai Agar Ho Sake To Aap Bhootal Aur Project Nector Series Ke Reviews Bhi Dijiyega
रोचक। मुझे सुपर हीरो genre के बजाए ऐसे हॉरर या आम लोगों की ग्राफिक फॉर्म में लिखी कहानियाँ ज्यादा पसंद आती हैं।
Wo bhi review hongi
Meri koshish hai ki main sirf superhero ya RC mein bandh ke na rah jaun