जीवन चक्र के अंतिम पड़ाव पर आती है मौत। वहां क्षण जब एक जीवन का अस्तित्व समाप्त होना तय होता है। कॉमिक्स किरदारों के ऊपर भी यह नियम लागू होता है। कॉमिक्स किरदारों के संदर्भ में यह मौत तब आती है जब उन किरदारों के ऊपर लिखी जाने वाली कहानियां का डिब्बा खाली हो जाता है। इस पड़ाव के बाद उस किरदार को लेकर लिखी गई कोई भी कॉमिक्स पाठकों को रास नहीं आएगी। कुछ ऐसे ही पड़ाव पर पहुंच गई है तरुण कुमार वाही जी की कलम से उत्पन्न होने वाले बांकेलाल की जिंदगी। और मेरा तो यह मानना है की बेदी जी के सम्मान में बांकेलाल की कॉमिक्स पर अब पूर्ण विराम लगा देने की आवश्यकता है।
The reason behind me coming to this conclusion is the fact that last three comics of Bankelal have been absolute disasters. जहां फिर आया बांकेलाल बेहद संवेदनहीन कॉमिक्स थी, वही मुसीबत का खेल अत्यधिक नीरस और इसी कड़ी में पिट्ठू गर्म भी हर तरह से बिल्कुल फ्लॉप कॉमिक्स है।
मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं इसको जानने के लिए आइए करते हैं इस कॉमिक्स का dissection।
Story – Tarun Kumar Wahi
Art – Prem Gunawat
Edited by – Manoj Gupta
1. कथानक इस कॉमिक्स का plot highly convoluted अर्थात confusion से भरा हुआ है। कॉमेडी काफी हद तक नदारद है। लेकिन सबसे ज्यादा हास्यास्पद इस कॉमिक्स में इसका अंत है। जी नहीं यह वह हास्य नहीं जो आप को हंसने पर मजबूर करें। क्योंकि मैं अपने ब्लॉग पर spoiler नहीं देता, इसलिए मैं इसका अंत disclose नहीं करूंगा, लेकिन बस इतना ही कहूंगा कि इस कहानी में एक बहुत बड़ा plot hole है। और इस plot hole से बाहर निकलने में लेखक पूरी तरह विफल हो गए हैं। अगर इस कहानी में कोई रोचक किरदार है तो वह है ऋषि ढोलकी। उसके अतिरिक्त इस कॉमिक्स में कुछ भी ऐसा नहीं है जो कि बांकेलाल की पुरानी कॉमिक्स की परछाई को भी छू सके।
बांकेलाल की कॉमिक्स में हर sequence और हर location का कहानी में कोई न कोई significance होता रहा है, किंतु इस कॉमिक्स में फूलों की घाटी वाला sequence गैर जरूरी बनाया गया है, और यही बांकेलाल की इन नई कॉमिक्स की कमी है।
2. चित्रांकनहमेशा की तरह प्रेम गुनावत जी ने चित्रांकन में बेदी जी की कमी काफी हद तक पूरी करी है। अगर बांकेलाल की कॉमिक्स इसी तरह पिटती रही तो यह प्रेम जी के साथ एक अन्याय होगा। सच माने तो बांकेलाल कॉमिक्स में अगर कुछ भी सराहने योग्य बचा है तो वह है प्रेम जी का चित्रांकन।
कुल मिलाकर यह कॉमिक्स खरीद कर पढ़ने लायक तो क्या, मित्र से लेकर पढ़ने लायक भी नहीं है।