यह एक सर्वविदित तथ्य है की कहानियों में सबसे जटिल श्रेणी हास्य की होती है। कहानियों के माध्यम से किसी को रुलाना या डराना फिर भी आसान होता है लेकिन हंसाना बहुत मुश्किल। हां एक तबका ऐसा भी मिलता है जो सतही चुटकुलों पर भी पेट पकड़कर रोफल करता हुआ हंसने लगता है लेकिन एक अच्छी हास्य कथा वह होती है जो हर स्तर के इंसान को हंसने पर मजबूर कर दे। तो क्या कौन बड़ा झापड़बाज (Kaun Bada Jhapadbaaz ) कॉमिक्स हास्य के उस पैमाने को प्राप्त कर पाती है? आइए जानते हैं।
Credits
- Writer – Anurag Singh, Mandaar Gangele
- Art and Inking – Sushant Panda
- Coloring – Basant Panda
- Lettering – Harish Das, Mandaar Gangele
- Editor – Sanjay Gupta
Art
कोई कुछ भी कहे राज किड्स यूनिवर्स का चित्रांकन बेहद सरल एवं मनोहर है। अपने पसंदीदा सुपर हीरोस को बाल रूप में देखना एक विशेष आनंद देता है। इस कॉमिक्स का आर्ट वर्क भी पिछले अंक की तरह अच्छा बना है। ऐसा मुझे लग रहा था कि तभी ग्रैंड मास्टर रोबो की एंट्री हुई। रोबो का आर्टवर्क मुझे Pixar animation की फिल्मों की याद दिला गया। उम्मीद है आगे कभी अगर राज किड्स यूनिवर्स की कोई और कहानी बनाई जाएगी तो उसमें रोबो जैसा और बेहतर आर्टवर्क देखने को मिलेगा।
Story
अगर कहानी की बात करें तो मैं इस कॉमिक से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हुआ हूं। सर्वप्रथम तो इस कहानी में pun के नाम पर मात्र सुपर हीरोज के पुराने कॉमिक्स के नाम परोसे गए हैं। दूसरा हास्य के नाम पर चीखना चिल्लाना हास्य नहीं कहलाता है। सुपर कमांडो ध्रुव का चंडिका तुम यहां कैसे वाला प्रसंग जबरदस्ती ठूसा हुआ सा लगता है। शुरू से अंत तक इस कहानी में केवल सतही हास्य मौजूद है। पहले अंक में यह फार्मूला काम किया था क्योंकि थोड़ा नवीन लग रहा था लेकिन दूसरे अंक में जहां कहानी में उत्थान होना चाहिए वहां कहानी उसी ढर्रे पर आगे बढ़ती है।
Misleading title
कहानी के अलावा जो सबसे बड़ी कमी इस कॉमिक्स में है वह है इसका शीर्षक। इस श्रृंखला को मैंने मारा ध्रुव को नामक कहानी का एक हास्य रूपांतरण बता कर प्रचारित किया गया था। उसके बाद जिस तरह अगले भाग का नाम कौन बड़ा झापड़बाज़ रखा गया और जिस प्रकार इसका विज्ञापन डिजाइन किया गया था उससे तो ये प्रतीत हो रहा था की ये अंक कौन बड़ा जल्लाद का हास्य रूपांतरण होगा, लेकिन इस कहानी में वैसा कुछ भी नही है। इस वजह से ये कॉमिक्स उम्मीदे खराब करती है।
Final Verdict
इस कॉमिक्स के साथ ही इस श्रृंखला में रुचि कम हो गई है। अगले भाग का नाम भागो झापड़ आया रखा गया है लेकिन शायद ये उम्मीद करना बेमानी होगा की उसका कथानक किसी भी तरह भागो पागल आया जैसी क्लासिक को स्पूफ कर पाएगा। कुल मिला कर कहानी बहुत बिखरी हुई नजर आ रही है और पाठको में अरुचि पैदा करती है।