कॉमिक्स लिखना एक कला है। अन्य सभी कहानियां सुनाने के माध्यम के मुकाबले एक काम इसकी स्क्रिप्ट लिखना वाकई में काफी जटिल काम है। आपके पास बेहतरीन कहानी हो सकती है लेकिन अगर आप की स्क्रिप्ट कमजोर है तो आपकी वह कहानी कभी भी सफल नहीं हो सकती है। खासकर कि जब बात आप की कहानी के पहले अंक की हो रही हो। ऐसी ही एक कॉमिक्स है दिव्य कवच – एक दिव्य अन्वेषण और आप पढ़ने जा रहे हैं उसका dissection.
Credits
- Writer – Himanshu Singhal/Vijyendra Mohanti
- Art – Vivek Goel
- Coloring – Naval Thanawala
Art
इस कॉमिक्स की आर्ट के बारे में मैं क्या कहूं। और कुछ नहीं तो कम से कम चेहरे ही सीधे बना देते। इंद्रदेव को तो देख कर फिल्मों में काम करने वाले अदाकार मुरली शर्मा की याद आती है। देव देखने में असुर समान लगते हैं। कई जगह चित्रों का perspective क्या सोचकर रचा गया है यह शोध का विषय है। सच कहूं तो असुर लोक देखने में देवलोक से कहीं अधिक लुभावना लगता है। पूरी कॉमिक्स में राक्षस दुदुंबी ही है जिसका चित्रांकन ठीक-ठाक हुआ है। आड़े तिरछे चेहरों से सजी इस कॉमिक्स का एक भी किरदार ऐसा नहीं बना है जिसे देखकर आप कह सके की इस कहानी का नायक वही है।
Story
कहानी। वह क्या होती है। इस कॉमिक्स में कहानी कम और पात्र परिचय ज्यादा है। पात्र परिचय भी ऐसा की कहानी का आनंद लेने की जगह दिमाग इसी में घूम जाता है कि कौन सा पात्र कहां से आ रहा है, वह कौन है और उसका क्या काम है। कहानी का मूल कांसेप्ट अच्छा है। एक दिव्यास्त्र जो धरती पर खो गया है और उसे पाने के लिए जद्दोजहद करते हैं कई किरदार, लेकिन स्क्रिप्टिंग इतनी लचर है की मूल कथा पूरी तरह से बेपटरी हो जाती है।
Final Verdict
कुल मिलाकर दिव्य कवच मे वे सारी संभावनाएं थी कि यह एक अच्छी शुरुआत बन सकती थी लेकिन कमजोर पटकथा और बेहद औसत चित्रांकन की वजह से यह कॉमिक्स दिल जीतने में पूरी तरह असफल रहती है।