Hello Comic Nerds
5000 साल से भी अधिक पुरानी सभ्यता, अनगिनत पौराणिक कथाएं और ना जाने कितने महा ग्रंथ होने के बावजूद भी, भारतीय कॉमिक्स और फिल्म से हमारा यह गौरवशाली इतिहास कुछ विलुप्त सा रहा है।
Whatever little exploration and utilisation has been done, is just a drop in the ocean.
ऐसे में मुझे यह मौका मिला, की भारतीय पौराणिक कथाओं के अजर अमर किरदारों को लेकर रची जा रही एक कॉमिक्स श्रृंखला के पहले अध्याय कि मैं समीक्षा करू। The Comic is titled Professor Ashwatthama.
Cheese burger comics से मिली यह प्रति विशेष रूप से समीक्षा के लिए दी गई है।
Concept
कहानी है एक ऐसे समय की जब कुछ विकृत मानसिकता के इंसान धरती पर राक्षसों का राज कायम करने के लिए प्रयत्नशील है। चंगेज खान के शरीर में रावण की आत्मा का प्रवेश करवा दिया जाता है।
Once the demon King has been awakened, he raises an army of the dead, and marches to conquer earth.
उधर हिंदुस्तान में कुछ लोग रावण की सेना को रोकने के लिए मदद लेने का फैसला करते हैं एक और रहस्यमय पौराणिक किरदार की।
वह किरदार है अश्वत्थामा (Ashwatthama)
Story
A good idea can be ruined by bad implementation. अब इस कॉमिक को मैं बुरा तो नहीं कहूंगा. लेकिन जितना अच्छा इसका कांसेप्ट है, उतनी अच्छी इसकी स्क्रिप्ट नहीं बन पाई है। कहानी का प्रवाह काफी अव्यवस्थित है। कुछ जगह तो dialogues का sequence बहुत ज्यादा random सा लगता है। कहानी में बहुत सारी चीजें एक साथ होती हैं. इस वजह से पाठक को किरदारों से जुड़ने का मौका नहीं मिल पाता है।
If your characters cannot connect to your audience, then the audience will not connect to your story.
कहानी में देश-विदेश के बहुत सारे पौराणिक एवं ऐतिहासिक तथ्यों का प्रयोग किया गया है। इन सारी कथाओं को एक कहानी में पिरोना काफी कठिन है। लेकिन अगर इस श्रृंखला के आगामी अंकों में लेखक इसे कर ले गए तो यह यकीनन एक अद्भुत संग्रहनीय कॉमिक्स श्रृंखला बनेगी।
कहानी की दूसरी कमी है इसमें प्रयोग किए गए sound FX. कुछ पैनल्स में यही effects काफी जानदार लगते हैं। वहीं कई पैनल्स में यह आवाजें काफी अटपटी सी लगती है।
अंग्रेजी अनुवाद में कई जगह grammatical errors हैं। ऐसा लगता है जैसे हिंदी में लिखी स्क्रिप्ट को Google translate की वेदी पर भेंट चढ़ा दिया गया हो।
Art (A rainbow book)
कहानी का आर्ट वर्क काफी सराहनीय है। कुछ-कुछ जगह तो आर्ट को देखकर टिनटिन की कॉमिक्स की याद आती है। लेकिन प्रयोग के चक्कर में की गई कलरिंग स्कीम इस आर्ट के साथ अन्याय करती है। हर पृष्ठ का एक बेस कलर रखा गया है। यह बेस कलर कुछ पृष्ठों पर तो बहुत अच्छा लगता है। वही कईयों में यही बेस कलर आंखों को दर्द दे जाता है।
Final Verdict
कुल मिलाकर प्रोफेसर अश्वत्थामा (Ashwatthama) एक missed opportunity है। But with right changes, this can be an epic series.
एक अच्छे कांसेप्ट को एक बेहतर स्क्रिप्ट की आवश्यकता है। उम्मीद है कि इस कॉमिक्स को मार्केट में लाने से पहले, संपादकीय टीम आवश्यक बदलाव कर देगी।