Hello Comic Nerds
पिछले कुछ वर्षों में कई सारे नए कॉमिक्स पब्लिकेशन आए और कई सारे आने की तैयारी में है। काफी लोग यह मानते हैं कि कॉमिक्स का भविष्य बहुत उज्जवल नहीं है और आने वाले वक्त में शायद कॉमिक्स छपना बंद हो जाएंगी लेकिन मेरी सोच इन सबसे इतर यह मानती है कि अगर अच्छी कहानियां बाजार में आएंगी तो मनोरंजन के इस साधन को कोई भी बंद नहीं कर सकता है। ऐसी ही एक अच्छी कहानी की तलाश मुझे ले गई बुल्स आई प्रेस द्वारा प्रकाशित जालिम मांझा सेल नंबर 9 (Zaalim Manjha – Cell number 9) कॉमिक्स के पास।
करीब 1 हफ्ते के अंदर इस कॉमिक्स दूसरा भाग बाजार में आने वाला है, तो मैंने सोचा कि चलो, उसके आने से पहले कर ही लेते हैं जालिम मांझा की धमाकेदार एंट्री का dissection.
Credits
- Writer – Sudeep Menon
- Art and Coloring – Mauritio
- Calligraphy – Mandar Gangele
- Cover Art – Maurikio Santiago
- Editor – Ravi Raj Ahuja
Plot
जालिम मांझा कहानी है नीना जोजफ की जो नौकरी की तलाश में एक Mental Asylum में caretaker कि नौकरी करने पहुंचती है। उस अजीब सी जगह में रात के वक्त उसका सामना शैतानी शक्तियों से होता है। नीना उन शैतानी शक्तियों से कैसे लड़ती है और अपनी रक्षा कैसे करती है इसी की कहानी है जालिम मांझा।
Story
कहानी का tone पहले पन्ने से ही रहस्यमयी एवं डरावना लगता है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती डर और रहस्य और गहरा होता जाता है।
लेकिन कहानी में असली मजा आता है जब माइकल मांझा की एंट्री होती है। उसके बाद सुदीप मेनन ने इस कहानी में horror और comedy की एक ऐसी स्वादिष्ट खिचड़ी पकाई है कि मेरे जैसा खिचड़ी को नापसंद करने वाले व्यक्ति भी बड़े चाव से उसका सेवन कर बैठा।
पहली ही कॉमिक्स में माइकल (Zaalim) मांझा पाठकों के दिल में उतर जाने में कामयाब रहता है। यह एक लेखक के रूप में सुदीप मेंनन की काबिलियत दिखाता है।
कहानी के अंत में जो ट्विस्ट डाला गया है, वह काबिले तारीफ है और वैसा ट्विस्ट भारतीय कॉमिक्स में मैंने तो कभी नहीं देखा है।
Art
जहां एक और कहानी बहुत जोरदार है वही कॉमिक्स का आर्ट कहानी के टोन को पूरी तरह मैच करता है। एक आध फ्रेम में भूतिया किरदार थोड़े हास्यास्पद से लगे हैं लेकिन overall कॉमिक्स का art बेहतरीन है।
Final Verdict
इस कॉमिक्स को जरूर खरीदें और यकीन माने कि इसे पढ़ने के बाद आप अगले ही दिन दूसरे भाग का प्रीऑर्डर लगा देंगे।