Dear bibliophiles, Let’s dissect!!
लेखक अनुराग कुमार सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं है। कॉमिक्स जगत में अपनी लेखनी से उन्होंने एक अच्छा खासा मुकाम हासिल कर लिया है। लेकिन शायद अभी भी कम ही कॉमिक्स पाठक इस बात से अवगत है कि अनुराग कुमार सिंह जी कॉमिक्स के अतिरिक्त उपन्यास लिखने में भी पारंगत है। मैं स्वयं भी इस सत्य से अपरिचित था लेकिन फिर एक दिन मुझे यह जानकारी हुई और मैंने मंगवा लिए उनके लिखे दो उपन्यास।
और आज मैं करने जा रहा हूं अनुराग कुमार सिंह जी के चर्चित उपन्यास मुखौटे का रहस्य का dissection.
Plot
मुखौटे का रहस्य कहानी है 3 युवाओं की जिनके नाम है तीव्र सिया और भुज। काल्पनिक और अन्य सिटी में रहने वाले यह तीनों होनहार किशोर टकरा जाते हैं एक ऐसे मुखौटे के रहस्य से जो करीब 5000 साल पुराना है।
रहस्य रोमांच और फंतासी से भरी एक ऐसी दुनिया उनके सामने खुल जाती हैं जहां उनका हर एक कदम उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। वह तीनों उस रहस्य को कैसे सुलज्ञाते हैं, इसी की कहानी है मुखौटे का रहस्य।
Story
अनुराग जी की लेखनी पहले पन्ने से ही पाठक को बांध देती है और पांचवें पन्ने तक आते-आते कहानी में एक्शन की शुरुआत हो जाती है। पहले अध्याय से ही कहानी जिस रहस्य को पकड़ती है उसे आखरी पृष्ठ तक बांध कर रखती है और पाठक कहीं से भी उस रहस्य को सुलझाने की स्थिति में नहीं आ पाता है। यह अनुराग जी की लेखनी का ही चमत्कार है की मुखौटे के पीछे छुपे असली विलेन का आकलन करना असंभव होता है।
कहानी के तीनों मुख्य किरदार तीव्र, सिया और भुज का चित्रण इस प्रकार किया गया है कि पूरी कहानी में वह तीनों कहीं पर भी काल्पनिक किरदार नहीं लगते हैं। ताकतवर विलेन के सामने उन्हें असहाय दिखाना पाठक के मन में उन किरदारों के प्रति सहानुभूति भर देता है, और इसलिए अंत में उन्हें विजयी होते देखना और भी सुखद हो जाता है।
Cover art
उपन्यास में कुछ जगह पर चित्रों का प्रयोग किया गया है जो हाला की कहानी के प्रवाह में कोई खास योगदान तो नहीं देता है लेकिन उपन्यास को दिखने में और खूबसूरत बनाता है। कवर डिजाइनिंग काफी उम्दा है लेकिन अगर तीव्र को थोड़ा nerdish look दिया जाता तो और बेहतर लगता।
Final word
हमारे देश में लोग अक्सर फंतासी उपन्यासों को कम आंकते हैं, विशेषकर अगर वह हिंदी में लिखे गए हैं। ऐसे लोगों को मुखौटे का रहस्य अवश्य पढ़नी चाहिए। यह उपन्यास काफी मनोरंजक है और एक बार अगर आप इसे पढ़ना शुरू करेंगे तो बिना खत्म किए रह नहीं पाएंगे।
उम्मीद है कि इसका अगला भाग हमें शीघ्र ही पढ़ने को मिलेगा।
उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख। मैंने भी जब उपन्यास आया था तब ही इसे पढ़ लिया था। चूंकि अनुराग जी कॉमिक्स लिखते हैं तो उन्हें उधर चुस्त लेखन करना होता है। यह चुस्त लेखन उपन्यास में भी झलकता है जो कि इसे तेज रफ्तार बना देता है। हाँ, जब मैंने ये पढ़ा था तब भी इसे पढ़ने के बाद दूसरा भाग जल्द लाने की गुजारिश की थी। देखिए क्या पता आपकी बात ही मान लें लेखक महोदय।