Controversy Creates Cash
Former WCW and WWE booker Eric Bischoff has rightly labelled his autobiography Controversy creates Cash. यह बात पूरी तरह से सत्य है की विवाद हमेशा सच से ज्यादा प्रचलित होता है। खास करके अगर हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो यह कथन पूरी तरह से सही साबित होता है। मनोरंजन की दुनिया में विवाद सफलता अर्जित करने का एक अनैतिक ही सही लेकिन tried and tested फार्मूला है। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे विवाद आते हैं जो कैश नहीं तैश पैदा करते हैं। ऐसा ही एक विवाद है Raj Comics By Sanjay Gupta की नवीनतम पेशकश आबुरा के तिलिस्म से जुड़ा हुआ।
विवाद का जन्म कुछ ऐसे हुआ की एक यूट्यूबर ने इस कॉमिक्स के कुछ आर्ट पैनल्स के चित्र साझा किए और अपने वीडियो में यह दर्शाया की उक्त चित्र अश्वराज की पुरानी कॉमिक्स से हूबहू उतारे गए हैं। इस वीडियो का प्रचार प्रसार इन शब्दों के साथ किया गया मानो की कोई बहुत बड़ा गुनाह पकड़ा गया हो। और फिर जैसी की उम्मीद की गई थी, बिना विषय की गहराई में गए हुए सदैव outrage की स्थिति में रहने वाले हमारे युवा वर्ग ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया। कॉमिक्स का चित्रांकन करने वाले चित्रकार तथा कॉमिक्स प्रकाशक संजय गुप्ता जी पर चोरी जैसे आरोप लगाए जाने लगे। इस बेवजह के विवाद पर एक कॉमिक्स फैन होने के नाते हैं मैंने अपना भी पक्ष रखने का प्रयत्न किया किंतु क्रोधित भीड़ के द्वारा प्रकाशक के पक्ष में बोलने वाले हर व्यक्ति की तरह मुझे भी एजेंट जैसे शब्दों से अलंकृत किया गया।
Thanks for the adjectives
हालांकि मुझे फेसबुक इत्यादि पर दिए जाने वाले इन तमगो से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन मैंने कुछ तथ्य और कुछ तर्क के साथ इस विवाद पर अपना पक्ष लिखने का निर्णय किया। आशा है आप सभी इस लेख को संजीदगी से पढ़ेंगे।
Why it is a non issue
मैंने उस वीडियो को कई बार देखा और यह सच बात है कि कॉमिक्स के 4-5 पैनल में चित्र पुरानी कॉमिक से काफी मिलते-जुलते हैं। किंतु इसे चोरी कहना जायज नहीं होगा।
प्रथम बात तो यह याद रखनी होगी कि मूल कॉमिक्स भी राज कॉमिक्स प्रकाशन के तहत ही प्रकाशित हुई थी। This makes all the art, dialogues, and story of those comics a legal property of Raj comics.
ऐसे में कानूनी रूप से चित्रों को पुरानी कॉमिक्स से ट्रेस करके नई कॉमिक्स में उतारना राज कॉमिक्स का कानूनी अधिकार है। ठीक उसी तरह जिस तरह t-series जैसी कंपनी लाखों गानों का कॉपीराइट अपने पास रखती है और जब मन करता है किसी भी गाने का रीमिक्स बनवा कर, और उसमें दिव्या खोसला कुमार को फीचर करवा कर हमें परोस देती है। यह t-series का मौलिक अधिकार है और ऐसी परिस्थिति में कंपनी पर चोरी का आरोप लगाना हास्यास्पद ही होगा।
It is a relaunch
दूसरी बात यह की उक्त कॉमिक्स अश्वराज नामक किरदार की एक तरह की relaunching है। ऐसे में नए चित्रकार द्वारा पुराने चित्रकार की कला का अनुसरण करने का प्रयास करना और उन्हें एक तरह की श्रद्धांजलि देने का प्रयास करना किसी भी पैमाने पर गलत नहीं है। हां, मैं इस बात का समर्थन अवश्य करूंगा कि कॉमिक्स में मूल चित्रकार का कहीं ना कहीं नाम लिखकर उन्हें याद किया जाना बेहतर होता।
Common Poses are very common
तीसरी बात जिन पैनल्स का जिक्र उस वीडियो में किया गया उन्हें भी कॉपी कहना उचित नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर तूताबूता की चित्र को कॉपी बताया गया जबकि अगर उन महाशय ने अश्वराज की कॉमिक्स पढ़ी होंगी तो उन्हें यह भी याद होगा कि तूताबूता को शुरुआती अंको में हर पैनल में अपने हाथ में उल्लू के साथ दिखाया गया है। और रही बात उसके बैठने के स्टाइल की तो हम सभी का बैठने का एक तरीका होता है तो क्या कल को अगर आप किसी सोफे पर बैठे हो तो यह महाशय आपको भी अपनी ही बैठने की अदा चुराने का आरोपी बना देंगे? उल्टे पुरानी कॉमिक्स से इस प्रकार की minute detail निकालना यह दर्शाता है कि चित्रकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए पुरानी कॉमिक्स का गहन अध्ययन किया है।
It is a homage
चौथी और सबसे जरूरी बात। कॉमिक्स के पहले फ्रेम में जिस चित्र को हूबहू नकल बताया गया है मैंने कारू का खजाना से उस चित्र को नई कॉमिक्स के चित्र के साथ कोलाज बनाकर आपके लिए प्रस्तुत किया है। आप साफ़ देख सकते हैं कि यह चित्र अकेले नहीं बल्कि उस चित्र के संवाद भी हुबहू कारू का खजाना से लिए गए हैं जो कि यह सब दिखाता है कि उद्देश्य अश्वराज की कहानी को एक नई शुरुआत देने का था and this is what you call as paying homage.
The root of controversy?
आप स्वयं देख सकते हैं कि मैं क्यों इस विवाद को गैरजरूरी बता रहा हूं। लेकिन अब आते हैं विवाद के पीछे की एक रहस्यमई कहानी पर।
1 साल पहले एक शख्स ने अपना नया कॉमिक्स प्रकाशन शुरू किया।
एक सेलर ने उससे अपनी कॉमिक्स केवल उसी के माध्यम से बेचने की बात करी।
प्रकाशक ने उस सेलर को मना कर दिया। बात इतनी बिगड़ गई कि उस प्रकाशक की कोई भी कॉमिक्स उस सेलर को बेचने को नहीं मिली।
और इस विवाद के बाद उस वीडियो को पोस्ट करने वाले शख्स को 24 घंटे के भीतर ही उसी सेलर ने अपने यहां एक पद पर रखने का ऐलान कर दिया।
Final word is enjoy comics not controversy
अंत में, मैं एक अन्य पाठक “विकास जी” के शब्दों के साथ इस लेख का समापन करना चाहूंगा जिन्होंने इस पूरे विवाद पर अपनी दो टूक बात मुझसे कहीं और मैं उसे यहां अक्षरक्ष रख रहा हूं।
“देखिए मेरे लिए यह मुद्दा इतना मायने नहीं रखता है। आर्ट का निर्णय प्रकाशक और आर्टिस्ट के बीच का निर्णय होता है। उन्होंने ऐसा क्यों किया? इसका उनके पास कारण होगा। क्या ये गलत है, मेरे नजर में नहीं। अगर उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी से कोई पैनल इस्तेमाल किया है तो यह उनका अधिकार है।
बाकी मुद्दे उठाने वालों को इसका हक है। लोकतंत्र है। लेकिन प्रकाशन की उन्हें जवाब देने की जिम्मेदारी नहीं है। हाँ, उन्हें अपने मुद्दे समझदारी से चुनने चाहिए कि जिससे इस इंडस्ट्री में कुछ सकारात्मक कार्य हो।”
बाकी भूल चूक लेनी देनी। कॉमिक्स पढ़ते रहिए और अपना मनोरंजन करते रहिए। ना मैं आपका सगा हूं, ना वह यूट्यूबर, ना प्रकाशक और ना सेलर।
बहुत अच्छा आर्टिकल है। आपके एक एक वर्ड से सहमत हूँ।
Homage वाली बात एकदम सत्य है जो पाठको को पुराने वक़्त में ले जाने का प्रयास है बाकि उन विक्रेता के पास अभी कोई भी लेटेस्ट राज कॉमिक्स भी नही आ रही, उनके पसंदीदा प्रकाशन की भी नही। उसके ऊपर यह मॉडरेटर बनाने वाली बात जो कितना clear दिखाती है कि RCSG के खिलाफ गुट बनाकर ये किसी भी हद तक जा सकते हैं।
Ek ek word ekdam 100% sahi likha hai aapne…. great article
जब लोग कॉमिक्स खरीद नहीं पा रहे हों, तो ऐसे मुद्दों से लोगों का मन लगा रहता है और वो भी बिल्कुल मुफ्त में, इसलिए ऐसे मुद्दे उछलते हैं।
Jo bhi likhe hain accha hi likhe hain